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मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

एक उद्घाटन ऐसा भी !

 

बहुत दिन पहले फेसबुक पर यहाँ जिस शहर में मैं रहता हूँ उसके पेज पर एक विडियो चमका था, जिसमें  यहाँ के मेयर को एक ब्रिज के उद्घाटन करते समय फीता खुद न काटकर कुछ बच्चों से ये काम करा उनका उत्साहवर्धन करते दिखाया गया था -

पता नहीं आप देख पाएंगे ये विडियो या नहीं, पर कोशिश करिये -

http://www.facebook.com/video/video.php?v=1197273388967

सूचना तकनीक का प्रयोग है कि हम एक जगह की अच्छी बातें दूसरी जगह प्रसारित कर सकते हैं, बाँट सकते हैं - शायद कोई नेता देख रहा हो और कुछ सीख ले इससे !  बहुत पैसा बच सकता है जो आधारशिला रखने से लेकर ढाँचे के समपर्ण तक रैलियों और भीड़ पर बहाया जाता है !

उद्घाटन इत्यादि में पैसा पानी की तरह बहा कर जनता के सामने खुद को विकास का मसीहा साबित करने का प्रजातंत्र में आदत या कहना चाहिए नशा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में हर जगह है - जहाँ भी जनता को जनता के पैसे द्वारा बेबकूफ बनाने का तंत्र यानी प्रजातंत्र है, वहाँ ऐसा अक्सर देखने को मिलेगा, चाहे वो अमेरिका हो या भारत !

देखिये एक समाचार दक्षिण भारत का (विवरण http://www.outlookindia.com/article.aspx?264550 से लिया गया है )  -
Talking of scamming, the Chennai Corporation spent more than Rs 24 lakh on the inauguration of two flyovers(at Cenotaph Road and Alandur Road) and a subway (on Jones Road, Saidapet) by chief minister M Karunanidhi on December 11, 2009. According to a reply to an RTI filed by V Madhav of Porur, Rs 16.45 lakh was spent on the inauguration of the Cenotaph Road flyover while Rs 7.87 lakh was spent for the Alandur Road flyover and the Jones Road subway although no stage was put up and the CM inaugurated it sitting in his car. “The total amount spent for the functions is almost equal to the ward development fund of a councillor, which is Rs 25 lakh a year. At a time when the government is short of funds for welfare schemes, there should not be any wasteful expenditure,’’ Madhav said.

So, what was 24 lakhs spent on? Rs 8.3 lakh on lighting, mikes and ACs at the Cenotaph Road flyover inauguration, Rs 2.5 lakh on the stage arrangements and toilet facility for Karunanidhi, Rs 1.15 lakh was spent for chairs for VIP, VVIPs and members of the public, the fabricated tent and synthetic mat. In addition, booklets supplied to VIPs, VVIPs and the public on the two flyovers cost Rs 4.3 lakh, while Rs 3.53 lakh was spent on lighting arrangements on the Alandur Road flyover, the Jones Road subway and the approach roads. All this expenditure does not include the money spent on the CM’s security and newspaper advertisements. But Subramaniam’s defence? Spending Rs 25 lakh for a function in which the CM participates “cannot be considered unusual or unnecessary.”

taxpayer

क्या अगली बार आप भी इस चक्कर में खुद के टैक्स का पैसा फूकेंगे या फिर नेपरविल के मेयर से कुछ सीखेंगे  ?

17 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

काश कि सीख पाते हम.

Arvind Mishra ने कहा…

काश ये बेहये सीख पाते यह !

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
राजभाषा हिन्दी पर - कविताओं में प्रतीक शब्दों में नए सूक्ष्म अर्थ भरता है!
मनोज पर देसिल बयना - जाके बलम विदेसी वाके सिंगार कैसी ?

राज भाटिय़ा ने कहा…

हम गलत बात ही सीख सकते हे, अच्छी बाते सीखना हमारे जींन्स मै नही हे जी:)बहुत सुंदर लेख धन्यवाद

भवदीप सिंह ने कहा…

बहुत अच्चा लिखा. पर कहना क्या चाहते हो? बड़े बड़े नेता आयें हों तो क्या ऐसे ही मामूली उद्घाटन समारोह हो जायेगा?

अरी जनता की सेवा करते हैं पूरा टाइम. अब जनता के टैक्स के पैसे से थोडा इनके आराम के लिए खर्च हो गया तो क्या बड़ी बात है.

हर ५ साल में आते हैं ना ये जनता से मिलने. क्या कम है?

ZEAL ने कहा…

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We need to learn this attitude.

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राम त्यागी ने कहा…

@शिखा और अरविन्द जी - मैं तो कहूँगा कि काश हम अपने वोट की कीमत समझ पाते - हमारी ignorance ने ही तो प्रजातंत्र को इतना कमजोर बना दिया है !

राम त्यागी ने कहा…

राज जी, ये सब पर लागू होता है - हर जगह हर तरह के लोग होते हैं

Satish Saxena ने कहा…

भ्रष्ट लोगों को सुधारने का सबसे बढ़िया साधन है यह एक्ट ! मगर लोगों में इसको उपयोग करने की समझ और सरकारी कार्यपद्धति की समुचित जानकारी का अभाव , बहुत बड़ी रुकावट है जिससे सही परिणाम नहीं मिलते हैं !
अच्छा कार्य कर रहे हो ..शुभकामनायें !

लाल कलम ने कहा…

सिखाने की जरुरत है इनको

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कल हमारे यहाँ पर भी इसी तरह का प्रकरण हुआ। किसी अधिकारी के स्थान पर एक वरिष्ठतम कर्मचारी ने उद्घाटन किया।

राम त्यागी ने कहा…

@प्रवीण पाण्डेय जी - ये हुई न बात !

राम त्यागी ने कहा…

@सतीश सक्सेना जी, आप कह रहे हैं कि जानकारी का अभाव ऐसा नहीं होते देता, मैं कुछ हद तक सहमत हूँ पर उनका क्या करें जो पढ़े लिखे होकर भी अधिकारों का उपयोग करना नहीं जानते !

वोट के अधिकार से लेकर चाटुकारिता तक कैसी इतनी बातें हैं जो एक अनपढ़ भी जानता है पर प्रबुद्ध नहीं :(

abhi ने कहा…

ये हुई न कोई बात....अच्छा लगा पढ़ के...सीख लेनी चाहिए बहुत से लोगों को...

कहीं शायद मैंने पढ़ा था की हैदराबाद में एक बार किसी यूनिवर्सिटी में ऐसा कुछ हुआ था...याद नहीं सही से

राम त्यागी ने कहा…

@Abhi, ऐसे उदाहरणों को सामने लाने की बहुत जरूरत है और इसमें ब्लोग्गिंग एवं सूचना तकनीक अहम भूमिका निभा सकते हैं !

Sanjeet Tripathi ने कहा…

aisa hi hona chahiye sach kahein to....


idhar nazar daliyega, baat karib 54 sal purani hai mere shahar ki,

"14 सितंबर 1956 को राष्ट्रपति यहां आने वाले थे। इससे पहले 13 तारीख की शाम कमलनारायण शर्मा और रामसहाय तिवारी ने मिलकर एक हरिजन की बेटी से गांधीजी की प्रतिमा का उद्घाटन करवा दिया। दूसरे दिन जब राष्ट्रपति आए और आजाद चौक से उनका काफिला गुजरा तो उनकी गाड़ी रोककर उन्हें बताया गया कि गांधीजी की प्रतिमा का उद्घाटन हरिजन की बेटी से करवा दिया गया है। तब उस लड़की ने राष्ट्रपति को माला भी पहनाई थी।"
link yah raha..


http://sanjeettripathi.blogspot.com/2009/05/blog-post_24.html

राम त्यागी ने कहा…

@संजीत,

में भी यही कहने कि कोशिश कर रहा था कि ऐसे अच्छे उदहारण सब जगह मौजूद हैं, और हमें सूचना के इन माध्यमों के जरिये ऐसे वाकयों का जोर शोर से प्रचार करना चाहिए - जिससे लोग प्रेरणा लेकर ऐसे काम करें ! मानव सभ्यता का यही तो evolution है

बहुत बहुत धन्यवाद , में अभी पढता हूँ ये !