जीवन की राह भी कैसी कैसी पगडंडियों से गुजरती है - कभी धुप तो कभी छाँव. कभी इतने काम कि फुरसत न मिले ब्लॉग लिखने की भी. आज सुबह से शाम तक बहुत व्यस्त रहा और ब्लॉग लिखने या पड़ने का कतई समय नहीं मिला. अभी लग रहा है कि बहुत कुछ है अधूरा !!
कुछ दिन पहले एक लेख भारत के पासपोर्ट के बारे में लिखा था. आज कनाडा का वीजा मिल गया है...ऐसा समाचार मिला, शायद उन लोगों ने मेरी पोस्ट पढ़ ली होगी इसलिए इतनी जल्दी वीजा दे दिया. लेकिन इस न्यूज़ ने तो और भी व्यस्त कर दिया, कनाडा से अमेरिका लौटने के लिए मेरे पासपोर्ट पर अमेरिका के वीजा की स्टंप होना जरूरी है , इसलिए कनाडा के किसी शहर के अमेरिकेन कांसुलेट में जाना पड़ेगा. हमें तो यात्रा हर सप्ताह करनी थी, इधर पता चला कि सबसे पहली तारीख वीजा स्टंप के लिए जून २९ मिल रही है यानी लौटना संभव होगा एक माह के बाद.
फिर क्या टेंशन शुरू...कौन जाएगा इस तरह से और कौन रुकेगा एक महीने दूर परिवार से. पर फिर ऑफिस वालों ने सारे कनाडा के अमेरिकेन कांसुलेट पर retry मार मार कर Montreal में अगले सप्ताह की तारीख ढूंढ ही डाली. अब देखिये ऑफिस का काम है टोरोंटो में, गुरुवार को जाना पड़ेगा Montreal ...कितना गरीब की जान लेंगे ये लोग, वो तो शुक्र है हवाई जहाज बनाने वालों और चलाने वालों का !
समीर जी से मिलने का भी मन है, देखो पहले इस चक्रव्यूह से तो निकलूँ. तारीख पक्की हो गयी है तो अब कागज़ भरने में व्यस्त. सारी जिंदगी डर डर के जीने वालों और हर मोड़ पर समझौते करके पुलिस केस से दूर रहने वालों का ये हाल है !! दायूद अब्रहीम तो बेचारा और भी परेशान होता होगा :) बहुत झंझट है भाई ये वीजा सिजा के ...क्यों न सब छोड़ मस्ती से गाँव में वापस रहने लगूं ....पर जीवन इसी का नाम है ..परेशानी कहाँ नहीं होगीं ..ऐसी दार्शनिक और समझौते वाली सोच हमें जिंदगी की पटरी पर ऐसे ही दौडाती रहेगी.
इतनी व्यस्तता और प्रोडक्टिविटी जीरो.

मेरी ड्यूटी थी बूथ नंबर ६ पर , जहां पर दो विशाल गेंदे थी और उनके साथ बच्चो को ज़रा कुछ रोमांच कराना था. इस तरह के हर बूथ पर हर समूह को खेलना था, मतलब हर बच्चे को २०-२२ गेम खेलने थे. हर कुछ मिनट में एक घंटी बजती और बच्चे अपनी पानी की बोतल उठा दूसरे बूथ की तरफ दौड़ पड़ते. थके हारे मासूम जवानों का जोश फिर भी देखने लायक था.
(चित्र में बूथ # ६ और गेंद को फेंकते बच्चे )

सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर ....अरे नहीं ...ऐसी (AC ) की छाया

गर्मी आई है तो ये मजे भी हो जायें
गर्मी से ऐसे हुए हम सभी बेहाल
पसीने को पौंछ पौंछ गीला हुआ रुमाल
कूलर की भौं भौं से सर हुआ हलाल
नौता खाने जा नहीं पाते अब तो चुन्नीलाल
पानी की किल्लत से हर कोई हुआ हलाल
नहाने से बच्चों को अब कुछ नहीं मलाल
ठंडक को तरसें अब तो हर पक्षी डाल डाल
और अंत में हमारे ब्लॉग समूह के मानसिक हलचल वाले ज्ञान दत्त जी के स्वास्थ्य लाभ के लिए ईश्वर से शुभकामनायें.