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मंगलवार, 30 मार्च 2010

अप्रैल फूल == कां ग्रे स का मतलब ' कहाँ गए सिद्धांत ? ' ...

लग रहा है कांग्रेस अपने विस्तार और अस्तित्व के लिए इतनी दुविधा और उहापोह में है की किसी भी मुद्दे को मुस्लिम तुष्टिकरण से जोड़ देने, या फिर एक परिवार विशेष के सम्मान से जोड़ देने को आतुर है. बड़ा ताज्जुब होता है जब कांग्रेसियों के लिए देश से बड़कर एक विशेष परिवार हो जाता है. मनमोहन सिंह जी तो किसी कोने में उसी तरह मिमियाते हुए नजर आते है जैसे किसी जमाने में महामहिम ज्ञानी जैल सिंह जी नजर आते थे ! परिवार केन्द्रित पार्टी एक प्राईवेट कंपनी की तरह है, जहाँ पर व्यक्तिगत स्वार्थ एवं उन्नति, सार्वजनिक उन्नति पर भरी पड़ जाता है !

इतनी बड़ी पार्टी जो की भारत जैसे विशाल गणतंत्र पर ६० साल तक राज कर चुकी है, का मुद्दा विहीन होना देश के लिए ठीक संकेत नहीं है। हर किसी मुद्दे को वोट बैंक के नजरिये से देखने से पार्टी का विकास तो संभव है, पर देश फिर आंतरिक रूप से असुरक्षित नहीं लगता और अगर देश का अस्तित्व ही खतरे में है या फिर देश पार्टी से कम विकास कर रहा है तो ऐसी पार्टी से क्या फायदा ?

कुछ आसपास के कांग्रेस के ज्वलंत मुद्दो पर नजर दौडाते है -

>हाल ही में मोदी और अभिताब बच्चन के रिश्तो की वजह से कांग्रेस में जो हलचल है और सोनिया जी को खुस करने की कवायद शुरू हुई है , उससे लगता है की मुखमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक को कोई और काम ही नहीं, सिवाय इस बेतुके बात को बतंगड़ बनाने में !

>यहाँ तक की अभिषेक बच्चन को भी नहीं बख्सा दिल्ली कांग्रेस वालो ने , क्यूंकि वो अभिताभ का बेटा है ? ये तो सरासर देश के मुद्दों से ध्यान हटाकर एक विशेष परिवार को खुश करने की कवायद है !

>दिग्विजय सिंह का आजम गढ़ जाकर एक विशेष समूह का मसीहा बनाकर सांप्रदायिक ताक़तों को बढावा देना !

>मोदी अगर SIT के बुलावे पर , कानून को सम्मान देकर, १० घंटे तक उनके दफ्तर जाकर , कानून के अनुसार चलते है तो भी गलत, नहीं जाते तो भी गलत ....क्यों नहीं और चीजो पर दिमाग लगाया जाता ?

>मोदी के विकास से ये लोग क्यों नहीं कुछ सीखते ?

>कांग्रेस मुंबई में हुए बम हमलो के बारे में क्या कर रही है , क्या महाराष्ट के मुखमंत्री मुंबई विस्फोटो , किसानो की आत्महत्या और भ्रस्टाचार से बिलकुल भी चिंतित नहीं है जो सिर्फ बच्चन परिवार पर ध्यान टिकाये हुए है, ये सब कुछ भी एक परिवार केन्द्रित द्रष्टिकोढ़ का ही नतीजा है !

>कमलनाथ सोनिया जी का फोटो सारे highways पर होर्डिंग्स पर लगाकर अरबो रूपये खर्च कर रहे है, सिर्फ चाटुकारिता के लिए !

>राहुल, संजय, और राजीव ६० सालो में अमेठी को कहा तक ले जा पाये है , यु पी और भारत को छोड़ देते है !

ये तो यही हुआ की कांग्रेस ६० सालो से भारत को अप्रैल फूल बना रही है, ये लेख सिर्फ कांग्रेस की बुराइयों तक इसलिए सीमित है क्यूंकि घर में बुजुर्गो से ही समझदारी की उम्मीद की जाती है पर इधर तो लग रहा है की ये बुजुर्ग पार्टी सठिया गई है ! वैसे भी आजादी से पहले की बात छोढ़ दें तो कब इसने ऐसा काम किया जिससे इसके कार्यकर्ता प्रेरणा लेंगे !

इधर रामदेव बाबा भी एक पार्टी बना रहे है, आशा करते है की ये commercial पार्टी नहीं होगी ....पर इतने सारे पुराने पार्टियों के अनुभव को देखते हुए ऐसा कम ही प्रतीत होता है !

बधाई हो official अप्रैल फूल के लिए , वैसे हम तो अपने राजनीतिज्ञों की वजह से रोज ही मुर्ख बनते है और चुपचाप सब कुछ झेलते रहते है ...में भी १ अप्रैल के दिन ही कई महीनो बाद ये पोस्ट लिखने जागा हूँ ... !

जय हिंद !