मैंने हाल ही में देश की चमकती और नाजुक दोनों हालत को देखकर एक पार्टी बनाने की बात सोची है, अब क्यूंकि पार्टी को सफल बनाना है, इसलिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है| निम्नलिखित विशेष योग्यताएं आप रखते है तो तुरंत संपर्क करें :
- पत्रकारों के लिए हमेशा रेड कारपेट क्यूंकि इनको पटाकर ही हम कुछ कर पायेंगे !
- करने से अधिक दिखावे में निपुणता, मार्केटिंग का जमाना जो ठहरा !
- भ्रष्टाचार की कला में माहिर !
- ब्लॉग्गिंग का अनुभव जरूरी नहीं !
- इमानदारी की सिर्फ बातें करना आता हो !
- किसी विशेष खानदान से सम्बन्ध, किसी राजघराने से सम्बन्ध रखते हों !
- कोई राजनीतिक आदर्श नहीं हों, गिरगिट की तरह समय के अनुसार रंग बदलने में माहिर हों !
- जी हजूरी करने में कोई झिझक ना होती हो !
- काला धन छुपा के रखा हो !
- पढ़े लिखे हों या ना हों, सब चलेगा !
पूरा यकीन है कि ये वाली पार्टी जरूर सफल होगी और देश को सही नेतृत्व दे पायेगी!!
अरे ये क्या … फिर से सारे पॉइंट पढने के बाद पता चला कि ये गुण तो सारे दल रखते हैं फिर हम कहाँ अलग हुए, कैसे अलग पहचान होगी ? फिर भी ऊपर लिखे सिद्धांतों पर कुकुरमुत्ते की तरह स्थापित दल कैसे जीत जीत कर आ जाते हैं ? ये यक्ष प्रश्न बड़ा परेशान कर रहा है |
विद्वान लोग कह गए हैं कि हर समस्या का हल होता है बस आपको आसपास निगाह दौडाने की जरूरत है !! लेकिन क्या भारत के राजनीतिक हलुए को फैलने से रोकने का कोई हल है ? लोगों ने लोहिया के नाम पर पार्टी बनायी लेकिन फिर सफल होने के लिए ऊपर लिखे टोटकों को ही अपनाया, लोगों ने अम्बेडकर और दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर दल बनाए, पर अंत में संसद तक पहुँचने के लिए टोटके ऊपर लिखे ही किये !!
मेरे अनुमान के हिसाब से भारत में ८०० के लगभग दल है जो चुनाव में हिस्सा लेते हैं, सुनने में लगता है कि प्रजातंत्र असली मायने में हमारे देश में ही है, पर क्या इतने सारे दल सच में प्रजातंत्र को परिभाषित कर पाये हैं या सिर्फ क़ानून के जाल में बने छेदों का फायदा उठाने मात्र के लिए ही ये उगते हैं ? आज के आधुनिक परिप्रेक्ष्य के हिसाब से भारत के लिए नया संविधान परिभाषित किये बिना हम देश को अस्थिरता की और ही धकेल रहे हैं !
खैर मैं भी क्या सोचने बैठ गया, आप तो बस मेरी पार्टी में शामिल होने के लिए तन और धन से तैयार रहिये !!
बहुत पहले एक कविता लिखी थी -
सरपंच साहब ने बुलाई है बैठक
सरकायलो खटिया और कुरसियाँ
पहले खेलो तांस और फिर सुलगायलो बीडी बोहरे
इतर लगाने वालो भी आयो है
क्या है मंजर पार्टी जैसो
सरपंच साहब ने बुलाई है बैठक
~~~~~~~~~~~~~~~~~
बोले मूला, सरपंच साहब आप महान हो
मिटटी के तेल से ही लाखों निचोड़ने में माहिर हो
घर का नाम रोशन कर रहे हो
जब से जीते हो, लाखों बना रहे हो
~~~~~~~~~~~~~~~~~
बोले मुरारी, सरपंच साहब आप तो खिलाड़ी हो
हमें उधार देने वाले भगवान् हो
अफसरों से सांठ गाँठ करना कोई आपसे सीखे
सरकार से पैसा एंठने में आपका कोई जबाब नहीं
हम तो भूखे है इसका हमें मलाल नहीं
~~~~~~~~~~~~~~~~~
जलाओ और बीडी , पानी की बाल्टी भी ले आओ
सब बोले एक मत में आप ही गाँव के सच्चे सपूत हो
नेता बनने के सारे गुण रखते हो
पढ़े लिखे लोग क्या कर पायेंगे
आप से क्या मुकाबला कर पायेंगे
आपने गाँव का नाम रोशन किया है
सरकार के पैसे से अपने घर को मालामाल भी किया है
इस बार डाल दो पर्चा MLA के लिए
बहू को कर दो खड़ा सरपंची के लिए
सरपंच साहब बहुत खुश हुए
दो चार अकडन लेते हुए
मीटिंग को सफल बताते हुए
सरकार को चूना लगाने फिर चल दिए !!
एक अच्छी खबर भी पढ़ी ब्लूमबर्ग में - दिल्ली में इंदिरा गाँधी एअरपोर्ट पर तीसरा टर्मिनल बनकर तैयार हो गया है, ये अपने आप में कई सफलता के मायने परिभाषित करता है. ७८ दरवाजे, ९५ उत्प्रवासन डेस्क , ९७ स्वचालित walkways के साथ यह एशिया के बड़े बड़े टर्मिनलों में से एक होगा और इसको बनने में सिर्फ ३७ महीने लगे ! और भी यहाँ पढ़ें - http://www.bloomberg.com/news/2010-07-01/delhi-building-airport-terminal-faster-than-beijing-may-spur-india-growth.html |
हलकी फुलकी टोरोंटो में एक कैब (टैक्सी) वाले ने भी दिल खुश कर दिया, ड्राईवर सोमालिया का रहने वाला था, पर हिंदी भी समझता था, बोल रहा था कि सोमालिया की भाषा में बहुत से शब्द हिंदी के जैसे ही है, जैसे भाई, बर्फ इत्यादी ! ये ड्राईवर महोदय अभिताभ से लेकर लता - आशा मंगेशकर के दीवाने थे, तभी तो हम कहते हैं कि |
35 टिप्पणियां:
कोई बात नहीं इतनी बुरी भी नहीं है हमारी डेमोक्रेसी...वर्ना १९४७ में आज़ाद हुए उन दूसरे देशों को भी देख लो जिनकी जनसंख्या का स्रोतों पर बोझ हमारे बराबर है
काजल भाई, यहाँ असहमत हूँ आंशिक रूप से !! क्या हम सिंगापुर या मलेशिया से कुछ नहीं सीख सकते जो ६०s में आजाद हुए फिर भी विकसित कहलाते हैं, हम कब तक कमजोरियों को नजरअंदाज करेंगे, ये जगजाहिर है कि तथाकथित पचायती राज और नेताओं के भ्रष्टाचार राज की वजह से चपरासी से लेकर मंत्री तक ९५ प्रतिशत सरकार नाकाम है और सिर्फ और सिर्फ पैसों की हेराफेरी में मशगूल है !!
बनाय लीजिये खूब चलेगी.. एक कार्यकर्ता हम भी हैं.. कविता बढ़िया है पुरानी है तो क्या अभी भी उतनी ही प्रासंगिक है जी..
सुन्दर लेखन।
बहुत बढ़िया विचार आया है आज तो भारत में आदमी से ज़्यादा पार्टियाँ बन गई है घर घर मे पार्टी और हिट भी चलिए आप शुरुआत कीजिए लोग तो मिल जाएँगे उपर से आपने जो सुझाव रखा है वो तो पार्टी हिट कराने का फार्मूला है ही...
सुंदर मजेदार कविता के लिए साधुवाद....धन्यवाद
हमें तो कार्यकरिणी में लोगे तो आयेंगे वरबा ८०० दल पड़े हैं किसी में भी चले जायेंगे. :)
कविता जंची.
टोरंटो में बहुत से चायनीज़ भी हिन्दी बोलते समझते मिल जायेंगे..शहर ही ऐसा है.
फोन मिस कर गया तुम्हारा.
टोटके चल रहे हैं इसलिये लोग अपना रहे हैं।
समीर जी, फोन तो कल का मिस हुआ पड़ा होगा, बुधवार को आने के बाद कल थोडा समय मिला था ...
वैसे आप जैसे कद्दावर NRI के लिए और पहले से अनुभवी होने की वजह से अद्यक्ष का पद सोच रखा है , इसलिए ८०० की गिनती से दूर रहे और हमारी पार्टी में ही चले आयें ...देखो ऊपर बहुत सारे आपके और हमारे दोस्त भी ज्वाइन कर रहे हैं :)
दीपक और विनोद जी आपका स्वागत है हमारी इस तथाकतित हलुआ पार्टी में :)
अनूप शुक्ल जी, टोटके चल क्या रहे हैं, लोग बना रहे हैं अपनी सुविधा और सम्रद्धि के लिए. पार्टी सिद्धांतों पर नहीं समझोतों पर चलती दिखती हैं आजकल ....
बनाओ जी पार्टी बनाओ
अभी तक इलेक्शन कमीशन में 828 पार्टियों के नाम दर्ज होने की सुचना तो मेरे पास है।:)
त्यागी जी संघर्ष करो
हम तुम्हारे साथ हैं।
राम राम
ललित जी, बड़ी जल्दी पार्टियों कि संख्या बढ़ रही है, ससुरी ८२८ हो गयीं ....हम जब तक सोच को सच में बदलेंगे तब तक तो हजार के ऊपर हो जायेंगी :)
वैसे आप साथ हैं तो मध्य भारत तो कवर हो ही गया :)
एक बात हम भी बता देवें है कि हलुआ पार्टी के मुख्य पद के दावेदार अपके बाद हम ही होंगे।अखिर पुराने जमाने मे सही राजनीति मे पापड तो बेल ही चुके है। और फंड की साझेदारी के लिये पहले ही बात हो जाये तो अच्छा है। अगर हमे प्रधान मन्त्री और आप प्रेज़िदेन्ट के लिये प्रचार किया जाये तो सोनिया और मनमोहन की हमेशा के लिये छुट्टी कर देंगे। शुभकामनायें।
हलुआ दल में निर्मला जी आपका स्वागत है :)
लग रहा है हमारा ८२९ वाँ पंजीकृत हलुआ दल बाकियों की तो जमानत ही जब्त करा देगा :)
आपकी पार्टी यदि सत्ता में आ गई तो सारे बड़े ठेके मुझे चाहिए..
आपको देना पड़ेगा अध्यक्ष महोदय..
याद करिए मैं आपके ब्लाग पर टिप्पणी मारने आता था। कुछ तो ध्यान रखना होगा।
बाकी मैं आपका ध्यान रखूंगा।
आप की पार्टी जिन्दा वाद जी, अगर कभी काले धन को स्विस बेंक मै डालना हो तो बन्दा हाजिर है सिर्फ़ २०% रेट पर:)साथ मै भारत मै कोई ठेका वेका दिलवा दे अमेरिका ओर युरोप का कुडा फ़ेंकने के लिये भारत मै, अब जल्दी से कोई सी पार्टी बना ले, शुभकामनाये
हम तो वोटर ही भले !
मेरा भारत महान !
हम तो वोटर ही भले !
मेरा भारत महान !
आप पार्टी बना लो उसका वित्त मंत्री मुझे बना देना :)
हलुआ पार्टी अगले प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करे तो ठीक वरना नई ठलुआ पार्टी बनायेंगे. १३ दिन की सरकार में भी पदों के लिए मुंह-फुलाव्वन हुआ था और देश का गवर्नर बन्ने के नालायकों ने पाकिस्तान बनाकर वहां की गवर्नरी हथियाई थी. जब तक मैं-वाद इतना प्रखर है दल-बदल-कुदल चलता रहेगा.
विवेक और अनुराग जी, चलो आपने तो अपने पोर्टफोलियो भी चुन लिए, कोई तो उद्देश्य होना चाहिए किसी राह पर जाने का ....
लग रहा है हलुआ पार्टी का अधिवेशन बुलाना पड़ेगा जल्दी ही :)
@शिवम भाई, आप जैसे लोगों को इमानदारी से ही पार्टियां और लोकतंत्र जिन्दा है, कार्यकर्त्ता बनने देखो इक्के दुक्के ही तैयार हुए हैं :-)
वैसे दम तो वोटर में ही है अगर वो अपनी शक्ति पहचान ले !!
@भाटिया जी, आपने काम आसान कर दिया हलुआ पार्टी के बहुत से लोगों का :)
@सोनी जी, चिंता न करें ...अपने लोगों को ही ठेका मिलेगा, बाकियों को ठुकाई :)
विद्वान लोग कह गए हैं कि हर समस्या का हल होता है बस आपको आसपास निगाह दौडाने की जरूरत है !! लेकिन क्या भारत के राजनीतिक हलुए को फैलने से रोकने का कोई हल है ?'
- देर सबेर हल तो निकलेगा. लेकिन कैसे - यह नहीं पता.
हम को मुख्य प्रवक्ता उर्फ़ पाड्कास्टर का दर्ज़ा मिलेगा जी
@hempandey हल है न हलुआ पार्टी :)
जिस दिन हम लिखने वाले , सोचने वाले , बोलने वाले - वोट डालने वाले सचेत हो जाएँ -- निश्चय ही हल निकलेगा !!
@गिरीश जी, स्वागत है ...वैसे भी आप तो international प्रवक्ता हो ब्लॉग के जरिये ....बस कुछ गोलमाल सीखना पड़ेगा :-)
सेवामे,
श्रीमान जन्मदाता
हलुआ पार्टी
जहाँमर्जी गढ़
विषय - उपयुक्त पद पर नियुक्ति हेतु
महोदय जी,
नम्र निवेदन है कि उपर लिखित सभी योग्यताएं मैं रखती हूँ.काम चोर भी नम्बर वन हूँ विशेष योग्यता में आप मेरी वाक्पटुता को सम्मिलित कर सकते हैं.किसी को घायल करना हो या पागल आज भी ये योग्यता मुझमे है.जो विरोधी पार्टी और वोटर्स को घुमा देने में काम आ सकती है.
सो श्रीमान से निवेदन है कि हलुआ पार्टी में मुझे सम्मिलित कर सेवा खाने का ,ओह सॉरी मेवा यानि....
ये राजनीति का ही असर है कि अभी पद भार सम्भाला नही और असर प्रार्थना पत्र में दृष्टिगोचर होने लगा.
कृपया हल.फल.बल सब निकालने का सौभाग्य प्रदान करे.
भवदीया
नाम ?????? ना पूछो इसी में सबकी भलाई है.
ही हा हा हा
मजेदार कविता...
@indu puri goswami ...चलो जी राजस्थान भी कवर हो गया, आपको एक लोभ दे देते हैं HRD minitry का !! सेवा भी मिलेगी और मेवा भी ..ये भारत का हलुआ दल है !!
अरे साजिद भाई, हलुआ पार्टी में शामिल नहीं होना ?
हमें तो आपकी पार्टी ज्वाइन करने में बहुत समय लगेगा । वैसे ये सारे गुण सीखने में कितना समय लगना चाहिये ?
हमरी खातिर कुछ बचा हो तो देख लीजियेगा....
नहीं तो विपक्ष का दरवाज़ा खटखटावेंगे और का करेंगे ...बाकी कोई धासूं पोर्टफोलियो है तो कहियेगा ....
हाँ नहीं तो...!!
हमे तो सारी पर्टियाँ ऐसी ही लगती हैं ।
@शरद जी, यही कहने की कोशिश थी कि सारे दल एक जैसे है जहां सिधान्तों और इमानदारी का कोई स्थान नहीं
@अदा जी, अरे विपक्ष में ना जाएँ , हलुआ पार्टी में विपक्ष वाले सारे गुण हैं
@प्रवीण जी, ईमानदार लोगों की हमारे दल में कोई जगह नहीं है :-) हम तो आपको रेल मंत्रालय का लोभ दिए देते हैं , बाकी आ जाओ बस , हलुआ पार्टी जैसे कब हो जाओगे - पता भी नहीं चलेगा :)
हम भी आयेगे.....
मेरा भारत महान है ही उसे और भी अधिक महान बनाएंगे...
@देव, दूल्हे राजा , आपका ही इंतजार था :)
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