हिन्दी ब्लॉग्गिंग विधा ने एक वातावरण पैदा किया है जहाँ पर कई ब्लॉगर एक परिवार की तरह एक दूसरे के दुःख सुख और वैचारिक आदान प्रदान में शामिल है. कुछ लोग ब्लॉग्गिंग से धन कमाने की अपेक्षा करते हैं तो कुछ देश सुधार की ! मुझे लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग से कुछ तो सार्थक हुआ है :
१. एक अमूल्य धन की कमाई जिसमें कई अनजान लोग विचारों के आदान प्रदान से एक दूसरे के नजदीक आये, घनिष्ठ मित्र बने.
२. हिन्दी का एक तरह से विकास हुआ है, हिन्दी में लेखन से इन्टरनेट पर हिन्दी में उपलब्ध सामग्री की प्रचुरता बढ़ी है
३. जिन लोगों की हिन्दी लेखन में रूचि थी उनको एक वातावरण मिला है, प्रोत्साहन मिला है, रूचि जागी है और प्रतिस्पर्धा ने कई लोगों में लिखने और पढने का जुनून पैदा किया है
मेरी इस बार की भारत यात्रा का एक पहलू ब्लॉग्गिंग मित्रों से मिलना भी था, अब तक फोन पर कई मित्रों से बात हुई और हर एक से आत्मीयता भरे सम्बन्ध ही बने हैं, मैं पहली बार किसी ब्लॉगर से मिला था २००९ में, तब मैं मुरैना निवासी भुवनेश शर्मा से मिला था, भुवनेश से बात करना और उनके लेखो को पढना दोनों से ही मुझे कुछ न कुछ सीखने को मिलता था और जब मिला तो और भी अच्छा लगा, कल वो फिर मिलने ग्वालियर आये और घंटो हम बात करते रहे, कई विषयों पर ! कल उन्होंने माननीय दिनेशराय द्विवेदी से भी फोन पर बात कराई, द्विवेदी जी के ब्लॉग पर मेरा तो नियमित जाना बना रहता है पर बात करके और भी ज्यादा अच्छा लगा !
इसी तरह प्रवीण पाण्डेय के हिन्दी लेखन का में बड़ा प्रशंशक हूँ, एक-दो बार फोन पर अल्प समय के लिए बात हुई है ! समीर लाल से कनाडा में हुई मुलाकात ने एक और घनिष्ट मित्र दिया तो पाबला जी, बिल्लोरे जी, महफूज मियां इन सबसे बात करके भी इनको और नजदीकी से जानने का मौका मिला ! रवींद्र प्रभात, राज भाटिया जी, जय झा से भी फोन पर बात हुई है और शायद ये सिलसिला चलता रहेगा ! अर्चना चाव जी, और अजित गुप्ता जी से भी बात करके आशीर्वाद लिया है. अनूप शुक्ल जी, शिखा जी, अभिषेक झा, अजय झा और अन्य लोगों से भी चेट पर बात होती रहती है.
इसी सिलसिले को आगे बढ़ाया इस शुक्रवार को ललित जी और खुशदीप जी ने, एक संकट मोचक की तरह निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर एक आत्मीय मुलाकात ने मुझे दो और मित्र दिए. दिल्ली महानगर में वर्किंग डे के दिन सुबह ८ बजे स्टेशन कौन आ सकता है, पर हमारे देश भावना प्रधान है जहाँ आलस या फिर और विकार भावों के सामने हावी नहीं रह पाते ! मेरे पास कुल मिलाकर छोटे से लेकर बड़े तक १० बैग थे और दो बच्चे :) …कुली सामान को स्टेशन के बाहर से प्लेटफोर्म पर रखकर जा चुका था और जब गाडी आकर लग गयी तो फिर जद्दोजहद थी की कैसे सामान को अंदर रखा जाय, किसी एक को बाहर रखवाली भी करनी थी, पर समय बहुत था – लगभग ३५ मिनट तो सोचा कि धीरे धीरे खुद ही चढाते हैं पर तभी दो संकटमोचक मित्र उस समय आते हैं और सब काम एक मिनट में हो जाता है, बच्चे भी खुश हो गए और फिर बातों का सिलसिला ऐसा चला कि लगभग २५ घंटे की थकान कब दूर हो गयी - पता ही नहीं चला - बातों में ऐसे मग्न हुए कि ट्रेन जब चलने लगी तब मैं भागते भागते चढा !
कौन कहता है कि ब्लॉग्गिंग से कमाई नहीं होती :)
29 टिप्पणियां:
सपरिवार स्वागत है आपका---
इस धन का मूल्य ही नही आंका जा सकता
अनमोल है शास्वत भी
कौन कहता है कि ब्लॉग्गिंग से कमाई नहीं होती :)
वैसे मैने १२ डालर से ज़्यादा कमा लिये हा हा हा
हाँ ब्लोगिंग की यही है सबसे बड़ी कमाई की लोग सामाजिक सरोकार से जुड़कर एक दुसरे से आत्मीयता से जुड़ जातें हैं.........आप अपने क्षेत्र में अच्छे लोगों को खोजिये और उसे ब्लोगिंग से जोड़कर सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों की सामाजिक जाँच कर ब्लॉग के जरिये देश-दुनिया तक पहुँचाने के लिए प्रेरित कीजिये.......मुश्किल काम है यह लेकिन जनहित में इसका बहुत महत्व है........आशा है आप इस दिशा में जरूर सोचेंगे.....
कमाई
यानी
कम आई
पर यहां पर
ज्यादा आई
मन भर भर आता है
जब ब्लॉगर हिंदी का मिल जाता है
मन से मन
छिपकलियां छिनाल नहीं होतीं, छिपती नहीं हैं, छिड़ती नहीं हैं छिपकलियां
सामान सोच वाले ब्लोग्गरों में आत्मीयता बन पड़ती है. आपकी बातों से सहमत. लेकिन कहीं कहीं ब्लॉग जगत में घमासान भी चल रहा है जो मन को खिन्न कर देता है. आपके दिल्ली आगमन का हाल चाल तो खुशदीप भाई के ब्लॉग पर पढ़ लिया था.
पढ़कर बहुत अच्छा लगा. आप वापस जाते समय सूचित कीजियेगा तो आपसे दिल्ली में भेंट हो जाएगी.
काले गोरे का भेद नहीं,
हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और ना आता हो हमको,
हमें प्यार निभाना आता है,
जिसे मान चुकी सारी दुनिया,
मैं बात वही दोहराता हूं.
भारत का रहने वाला हूं,
भारत की बात सुनाता हूं,
है प्रीत जहां की रीत सदा,
मैं गीत वहां के गाता हूं...
राम को देखकर कौन कह सकता है कि विदेश जाकर भारतीयों के हाव-भाव बदल जाते हैं...राम और उनके परिवार में मुझे हमसे भी ज़्यादा भारतीय संस्कार और हिंदी के लिए प्रेम दिखा...
जय हिंद...
व्यस्तता ने हमारा निश्चित कार्यक्रम राजधानी ट्रेन की जगह वायुयान से कर दिया। जिस समय हम दिल्ली में लैण्ड कर रहे थे, आपकी ट्रेन ग्वालियर के लिये चल चुकी थी। आशा अभी भी बलवती है आपसे भेंट करने की।
आपका भारत में स्वागत है। ग्वालियर से एक ट्रेन सीधे उदयपुर आती है। कब आ रहे हैं?
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (29/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
इसे कमाई मानें तो यह कभी खर्च नहीं होगी। करेंगे तो और बढ़ेगी।
आप का ई-मेल मेरे पास नहीं है।
मौका लगे तो कोटा आएँ।
सच है ये धन अमूल्य है हमने भी कितने ही मित्र पाए हैं एक से बढ़ कर. एक वरना हम जैसे लोगों को कौन पूंछता.
यही है सही कमाई.
सच कहा है यहाँ आकर बहुत अमूल्य धन कमाया है हमने.
बहुत अच्छी बात कही है .
खुशदीप जी क्या बात है?
काले गोरे का भेद नहीं,
हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और ना आता हो हमको,
हमें प्यार निभाना आता है,
... bahut badhiyaa ... romaanchak post !!!
बेहतरीन प्रस्तुति ... सही कहा आपने . हिंदी समृधि हुई है.
har dil aziz ka bharat ki jami par swagat hai.
सही है, सहेज के रखने वाली निधि है ये.
पढकर अच्छा लगा ..
आपके दर्शन तो हमने भी मिस कर दिये। ;)
अनमोल धन है ब्लॉग मित्र ,
इस बार मेरे ब्लॉग में '''''''''महंगी होती शादिया .............
यह धन तो अनमोल है.... बधाई
अमूल्य होते हैं कुछ क्षण ... कुछ धन!!
सुन्दर आलेख!
हिंदी ब्लॉग्गिंग चीज़ ही ऐसी है....
नई पहचान के साथ-साथ बहुत से बढ़िया मित्र भी मिले हैं मुझे इसके जरिये...
राम भाई, हमारा दिल तो गालिब है
जब हिल मिल जाता है तो सारे जहां की खुशियां साथ हो लेती हैं।
जब अगले पलों का पता नहीं क्या हो्ने वाला है तो फ़िर इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में कटुता के लिए क्यों जगह रखी जाए, उसे डस्टबिन में डाला और बस प्यार ही प्यार रहे। संबंधो में मिठास रहे।
उस दिन दो घंटे जाम में फ़ंस कर 11 बजे गुड़गांव पहुंचा। सभी से मिल कर अच्छा लगा।
अगली बार आओगे तो एयरपोर्ट पर ही मिलेंगे "दो कुली" हा हा हा
अरे!मैं तो इस मामले में और भी ज्यादा भाग्यशाली हूँ जो मैंने पाया वो तो शायद ही किसी को मिला हो.हा हा हा अपने ब्लॉग पर एक आर्टिकल डाला है मैंने.... जन्मो के लिए बाँध दिया मेरे ब्लॉग ने मुझे किसी से हा हा हा
ह्म्म्म उसकी अगली किश्त अभी बाकी है...
यही सच्ची,खरी कमाई है हमारी इसमें दो राय नही
अरे!मैं तो इस मामले में और भी ज्यादा भाग्यशाली हूँ जो मैंने पाया वो तो शायद ही किसी को मिला हो.हा हा हा अपने ब्लॉग पर एक आर्टिकल डाला है मैंने.... जन्मो के लिए बाँध दिया मेरे ब्लॉग ने मुझे किसी से हा हा हा
ह्म्म्म उसकी अगली किश्त अभी बाकी है...
यही सच्ची,खरी कमाई है हमारी इसमें दो राय नही
ब्लॉगिंग एक बहुत अच्छी विधा है आज के समय में ,लेखनी के जरिये हम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं,सुख दुख बन्न्त लेते हैं .बहुपयोगी है ये ब्लॉगिंग .
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