पिछले लेख में ओबामा की भारत यात्रा के कुछ पहलुओं के बारे में मैंने विश्लेषण किया था, ये महत्वपूर्ण आलेख यहाँ पढ़ा जा सकता है -
एक विश्लेषण - ओबामा की भारत यात्रा के परिपेक्ष्य में
अब जबकि अंकल सेम बहुत कुछ बेच कर और हम भावुक भारतियों को लुभा कर चले गये हैं, एक बात पर गौर करना जरूर है जो मैंने उपरोक्त लेख में भी संदर्भित किया था कि भारत को अगर वाकई में विकसित देशों के श्रेणी में खड़ा होना है तो हमें अपनी सकल घरेलु उत्पाद का एक बहुत सारा भाग शोध पर खर्च करना होगा!
जी ई और बोईंग जैसी कम्पनियाँ ओबामा के साथ बिलियन डॉलर का सामान एकतरफा बेच कर चले गये, जैसे ओबामा भारत से अमेरिका में रोजगार पैदा करने की बात करते हैं उसी तरह हमें भी अमेरिका से डील डन करते समय इस तरह की शर्तें रखना चाहिए के हमें सामान भारत में ही बना कर दीजिए ! इससे ये बड़ी बड़ी कम्पनियाँ कम से कम कुछ पैसा शोध पर भी भारत में खर्च करेंगी और उससे अप्रत्यक्ष रूप से आगे आने वाले वर्षों में भारत को ही फायदा होगा ! आई टी के क्षेत्र में ऐसा हो रहा है, अब ये सब अन्य क्षेत्रों में भी होना चाहिए. अगर एक आई टी क्षेत्र में हमारी सक्रियता के जरिये इतने रोजगार, प्रतिष्पर्धा और सम्पन्नता आयी है तो सोचिये के अगर अन्य क्षेत्रों में भी ऐसा हो तो भारत कहाँ से कहाँ होगा !
अभी हम विशिष्ट तकनीक के लिए पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर हैं , रक्षा बजट से लेकर उर्जा बजट तक देश का ५० प्रतिशत से ज्यादा पैसा विदेशों की झोली में चला जाता है ….क्या बिना आत्मनिर्भर हुए हम विकसित हो सकते हैं ?
पिछले आलेख में राज भाटिया जी ने बहुत अच्छा प्रश्न उठाया था -
राज भाटिय़ा जी ने कहा था … “इस बंदर बांट मे कुछ नही होने वाला, ओर अमेरिका ईस्ट ईडिया की तरह से एक कपनई ही बना कर जायेगा भारत मे, यह अपने बम पटाखे बेच कर जायेगा, ओबामा गाधी का पुजारी हे तो इस मै बडी बात क्या हे,सारे काग्रेसी भी तो इसी बापू के पुजारी हे, बाकी बात मै honesty project democracy जी से सहमत हुं, यह मामा हमारा कुछ भला नही करने वाला, “
रवीन्द्र प्रभात जी भी कुछ ऐसी ही व्यथा रखते हैं - “यह सही तथ्य है कि ओबामा ने महसूस किया है मार्टिन लूथर और गांधी को, किन्तु एक सच यह भी है कि ओबामा और हमारे देश के सफ़ेद पोश में यह एक समानता है दोनों महसूसते हैं गांधी को मगर करते वाही जो उनकी फितरत में शामिल होता है ! ओबामा की अग्नि परीक्षा वहीँ असफल हो जाती है जब वह पाकिस्तान और भारत को एक ही तराजू पर तौलने का प्रयास करते हैं अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों की तरह. …”
वहीं जय कुमार झा भी बहुत झल्लाए दिखे…”अच्छे आकडे प्रस्तुत किये हैं आपने लेकिन एक बात तो तय है की लोकतंत्र ना तो अमेरिका में अब जिन्दा है और भारत में तो लोकतंत्र एक भयानक त्राशदी जैसा हो गया है | ओबामा की भारत यात्रा कोमनवेल्थ और आदर्श घोटालों से इस देश की जनता का ध्यान और उनके रोष को भटकाने और खयाली तथा कागजी विकाश के लोलीपोप चूसने को इस देश के लोगों को प्रेरित करने के सिवा कुछ भी नहीं करेगा ...”
समीर लाल और प्रवीण पाण्डेय भी कुछ ज्यादा आशावान नहीं दिखे ओबामा से !
ओबामा की इस यात्रा के अन्त में पीपली लाइव फ़िल्म का गाना सही फिट बैठता है:
भैया भारत लगता तो बड़ा संपन्न है
पर विदेशी लोग खाए जात हैं
और अमेरिकन बाबू अपनी चीजें बेचे जात है
जनता बेचारी कान पकडे ही जात है
और कांग्रेस पार्टी राज करे ही जात है
देश को घोटालों से लूटे ही जात है
अमेरिकन बाबू अपनी चीजें बेचे जात है
देश की प्रतिभा पलायन करे ही जात है
और एक प्रतिभा राष्ट्रपति बने ही जात है
पर कुछ करे नहीं पात है
देश गरीब होये जात है
अमेरिकन बाबू अपनी चीजें बेचे जात है
विपक्ष खूब सीटें जीते जात है
पर संसद में ये भी सोये रहत है
बात बात पर धक्का मुक्की होती रहत है
वोट करते में खुद ही बिक जात है
अमेरिकन बाबू अपनी चीजें बेचे जात है ….
इस दिवाली पर निकुंज ने यहाँ के एक मंदिर में अपना पहला स्टेज कार्यक्रम किया, चिन्ता की बात थी कि समय की कमी और प्रोग्राम में कुछ परिवर्तन की वजह से उसने तैयारी ज्यादा नहीं कर पायी पर खचाखच भरे सभागार की तालियों ने ये सब संशय दूर कर दिया , सोचा आपके साथ भी बाँट लिया जाए ये गर्वोनुभूति का पल - |
22 टिप्पणियां:
निकुंज को बधाई और आशीर्वाद!
रचना और आलेख बहुत सटीक है!
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… “इस बंदर बांट मे कुछ नही होने वाला, ओर अमेरिका ईस्ट ईडिया की तरह से एक कपनई ही बना कर जायेगा भारत मे, यह अपने बम पटाखे बेच कर जायेगा, ओबामा गाधी का पुजारी हे तो इस मै बडी बात क्या हे,सारे काग्रेसी भी तो इसी बापू के पुजारी हे, बाकी बात मै honesty project democracy जी से सहमत हुं, यह मामा हमारा कुछ भला नही करने वाला, “
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राज भाटिया से सहमत हूँ!
आपके कान्हा को मेरा प्यारा।
सच कहा आपने
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा अब बदल कर ट्रेड प्रधान विश्व रचि राखा।
यह अपने बम पटाखे बेच कर जायेगा हम भी तो कम नहीं अपने पठाखों को बम बना के बेच रहे हैं.
निकुंज को शुभकामनाये .और गाना जबर्दस्त्त है.
निकुंज को बधाई. जबरदस्त विश्लेषण
@अनुराग जी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद , बस !निकुंज के ऊपर अप लोगों का आशीष बना रहे.
@शास्त्री जी, धन्यवाद ! काश कांग्रेस ये लेख देख सकती, अब देखिये म्मुम्बाई ब्लास्ट के समय का महाराष्ट्र का ग्रहमंत्री उस समय तो जनता की आँखों में धुल झोंकने के लिए स्तीफा दे देता है पर बाद में चुनाव के बाद फिर वही ग्रहमंत्री बन जाता है और जनता भी उसी को वोट देती है !
@प्रवीण जी, आपका स्नेह बस ऐसे ही बना रहे !
@मासूम जी , वैसे हमने उनको क्या बेचा है अब तक ?
@रचना - धन्यवाद दोनों बाप -बेटों के उत्साहवर्धन के लिए :)
वाह वाह राम जी .....कविता क्या बनायीं !!!
हर लाइन में सिर्फ़ सच्चाई है सच्चाई !!!
बाकी बेटे लाल को हमारी ओर से बहुत बहुत बधाइयाँ शुभकामनाएं और ढेर सारा स्नेहाशीष !
@शिवम, बस कविता बन गयी ओबामा की डील पर :)
धन्यवाद, निकुंज पर ऐसे ही आशीष बनाए रखें
बहुत अच्छा विश्लेषण किया है आपने . अमेरिका का राष्ट्रपति यदि व्हाईट हॉउस से पूर्व दिशा की ओर निहारता है तो समझो उसमें भी उनका बहुत बड़ा स्वार्थ रहता है . अमेरिका के झांसे में आकर दुनिया के अनेक देश पहले ही बर्बाद हो चुकें है ,भारत भी धोखा खा चुका है . राष्ट्रपति बराक ओबामा की कूटनीति को समझने में थोडा वक्त लगेगा .
hmmmmm बढिया है. निकुंज को बधाई, आशीर्वाद. ३६ अरब के एवज़ में मिला कितना?
@अशोक जी, जब तक हम चीन की तरह द्विपक्षीय वार्ता करने लायक नहीं बनते तब तक ऐसा ही संशय रहेगा
@वन्दना जी, निकुंज पर ऐसे ही आशीष बनाए रखें !
आई तो शिर्षक देखकर....पर ये विषय मेरे मन के पसन्द का नही है....एक नजर घूमाने नीचे किया...निकुंज मिली....वाह ....ये मेरे मन के पसन्द का है ....बहुत ही खूबसूरत लग रही है और उतनी ही खूबसूरती से पहला स्टेज परफ़ार्मेंस दिया.....बधाई की हकदार है....आशीष...
"सोचा आपके साथ भी बाँट लिया जाए ये गर्वोनुभूति का पल - "
शुक्रिया ...
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ओबामा एक बुद्धिमान व्यक्ति है। वो जानता है की भारत एक उभरती हुई ताकत है, इसलिए , सही वक़्त पर सही देश से हाथ मिला लिया। इसे कहते हैं प्रैक्टिकल होना।
निकुंज का विडिओ देखा। उसे मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई।
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@अर्चना जी, धन्यवाद - वैसे निकुंज हमारे लडके का नाम है :)
शुक्रिया...मुझे पता नही था...पर मैने अन्दाजा लगाया था इस लाईन को पढकर ----
"प्रोग्राम में कुछ परिवर्तन की वजह से उसने तैयारी ज्यादा नहीं कर पायी".....
वैसे बधाई व आशिर्वाद तो पहुँचा न....
जी बधाई व आशीर्वाद दिल से स्वीकार करके निकुंज तक सन्देश पहले ही पहुंचा दिया गया है :)
भारत किसी देश का नाम नहीं है यह एक बाज़ार का नाम है
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