पहले देखिये ये घर के पिछवाड़े का छोटा सा गार्डन -
बड़ी आशाओं के साथ पौधे रोपित किये गए, बाजार से सड़े हुए गोबर वाली मिटटी खूब सारे डॉलर खर्च करके लायी गयी! पर एक हमारा ही पाला हुआ हमारी ही बगिया को उजाड़ रहा है. एक आतंकवादी के आतंक की वजह से पौधे फल फूल ही नहीं पा रहे.
मिर्ची के पौधे से सारे पत्ते गायब तो कभी सूर्यमुखी के छोटे से पौधे के सारे पत्ते गायब.
कभी कभी तो मिर्ची को भी खा जाता है जो एकाध आ पाती है . और वो आंतकवादी जिसे हमने उसी तरह बढावा दिया जैसे की तालिबान को अमेरिका ने रसियन के खिलाफ, अब हमें दिखा दिखा कर अब हमारी ही हालत खराब कर रहा है और चाह कर भी हम कुछ नहीं कर पा रहे. अब तो आप जैसे सहयोगियों की सहायता और सलाह की जरूरत है.
चलो आप को उस आंतकवादी से मिला ही देते हैं जो पिछवाड़े के आतंक के लिए जिम्मेदार है -
एक नन्हा सा बनी
पहले बच्चों को खुश करने के लिए बुलाते थे और बड़ा खुश होते थे जब ये आता !! खैर गुस्सा तो अब भी नहीं आता !! ये देखो हमारा न्याय !
दूसरा नटखट है जो घर के सामान को एक जगह नहीं रहने देता, इसने भी नाक में दम कर रखी है. जब देखो तब हर चीज को गड़बड़ करने में रहता है. TV देखने बैठते हैं तो उसको पॉवर ऑफ कर देगा, कभी डिनर की टेबल पर आतंक तो कभी मेरी डेस्क पर मेस. बाहर निकलो तो पकड में ही नहीं आएगा हाथ में, दिन में कम से कम दस लोलीपोप खाने की कसम खा रखी है ...
ये है दूसरा आतंकी ...
और एक मैं सीधा सादा जीव जो इनको झेलता हूँ जब घर पर होता हूँ, और याद करता हूँ जब बाहर होता हूँ! अब देखिये में कितना प्रोडक्टिव हूँ!! इस शनिवार को देखिये बहुत ही मस्त मस्त सूप बनाया है...
टमाटर का स्वास्थ्यवर्धक, स्वादिष्ट, सलीकेदार सूप
एक दिन पडोसी ने कुछ इस तरह का सूप डिनर में खाया और फेसबुक पर सबको बताया, ये दो महीने पहले की बात है. इससे प्रेरणा आने में २ महीने लगे और जब उन महाशय के रेसेपी देखने फेसबुक पर गया तो कहीं मिली नहीं तो फिर खुद के तरीके से पेटेंट सूप बना दिया. किचन में जाना कम होता है, या यूं कहूं की प्रवेश वर्जित सा ही है. मैडम हमारी एक से एक जबरदस्त रेसेपी बनाती है तो मैं तो इस मामले में अपने आप को निरक्षर सा अनुभव करता हूँ, और ये उपलब्धि ऐसी लगी जैसे की नासा में कोई प्रयोग किया हो. मैं महान हो गया इस सूप का निर्माण करके !!
पूरा सूप पैन में ...
बारिश का मौसम था, इसलिए घर के पिछवाड़े कल कल बूंदों को देख खूब मजे आये गरमागरम सूप पीने में. बचपन में आँगन में पड़े जाल से आते पानी को देखा होगा, कभी जाकर उसमें नहाते थे तो कभी जल्दी जल्दी बहुत तेज बारिश होने के समय ऊपर से एक प्लाष्टिक की पन्नी (जाजम) डालने ऊपर छत पर जाना पड़ता था, जिससे घर ज्यादा खराब ना हो. जल्दी जल्दी ऊपर छत पर बिखरा सारा सामान अंदर रखने की जद्दोजहद अब बड़ा आनंद देती है, जो चीजें वहां रहने पर भार या बोर लगती थी, वही आज अतीत के सायें में चली गयीं या फिर पास नहीं है तो सुबह की ठंडी बयार सी लगतीं हैं. ये कैसी उलझन है की जब कोई पास नहीं है, तो बड़ी याद आती है और जब पास हो तो उसकी महत्ता का पता नहीं लगता !!
यहाँ हमारे घर के बैकयार्ड में केवल कुर्सी ही बारिश की बूंदों का आनंद ले रही लगती है ...
मक्के के भुट्टे आजकल खूब मिल रहे है बाजार में. जैसे ही एक दिन बार्बैक्यू करने बैठे, कोयला में आग बैठ ही रही थी की इन्द्र देवता टपक पड़े, गराज में ही सब कुछ करना पड़ा. ये मेघ ग्वालियर में जाकर क्यूं नहीं बरसते जहाँ गर्मी से लोग बहुत परेशान हैं?? शिकागो वालों को थोडा सूरज ही मिल जाने दो.
और कुछ हलचल ...
लौह कूटती बंजारिन
घर घर जाती बंजारिन
गाली देती बंजारिन
जीवन जीती बंजारिन
मंडल अध्यक्षा मिसरायिन
राजनीति में मिसरायिन
भाषण देती मिसरायिन
रोती रहती मिसरायिन
23 टिप्पणियां:
bahut sundar aatankvadi bataye hain aapne
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बड़े प्यारे आतंकवादी हैं..
... बहुत सुन्दर !!!
(... भाई जी .... अब हम ब्लागिंग को व्यक्तित्व का आईना नहीं कह सकते ... वो इसलिये हमने स्वयं ही ब्लागिंग को समाज, राष्ट्र व अंतर्राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत कर दिया है ...आज हम हर दूसरे-तीसरे दिन एक ऎसी पोस्ट लगाते हैं जिसका भाव / नजरिया / विषय ... सामाजिक / राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय होता है ... !!!!)
भईये, सूप बनाये कैसे हो...वो भी तो बताओ...बकिया ई खरगोश तो यहाँ भी नाक में दम किये है गिलहरियों के साथ मिल कर.
@समीर जी, सूप बनाने की विधि की भी एक पोस्ट आ जायेगी चलो जल्दी ही ...
आपके दोनों आतंकवादी दिल से लगाने के काबिल हैं...ऐसे आतंकवादी किस्मत से मिला करते हैं...खरगोश के खाने के लिए अलग से ढेर सारा तश्तरी में रख दीजिये फिर शायद वो आपके पौधों को न खाए...
सूप देख कर जो लार टपकनी शुरू हुई है कब बंद होगी इश्वर जाने...आपने इतना स्वादिष्ट सूप खिलाना नहीं था तो दिखाया क्यूँ?
नीरज
राम भैया दुन्नू आतंकवादी कित्ता क्य़ूट है :)...
बबुआ तो बदमाशी करेगा ही...
देखो तो बबुआ का लालीपाप के साथ फ़ोटुआ सांट दिये इहां.... :)
सूप दिख तो बडी ज़बरदस्त रहा है... सूप का टेस्ट पर भाभी जी का कमेंट भी बतला देते ;) वईसे प्राईवेट बात है त कोनो बात नहीं क्युरासिटी में लिख गये हैं......
कुर्सी बारिश का मौज ले रही है... लेने दीजिए कम से कम उसको तो मौज मारने दीजिए :)
त्यागी जी . आतंकवादियोँ से परिचित कराया . मजा आ गया ।
बहुत खूब सर, अब सूप पीने में कैंसा है ये पता नहीं. लेकिन देखकर मुह में पानी आ गया .
काश सारे आतंकवादी इतने ही मासूम हो जाये :) सूप भी बहुत स्वादिष्ट लग रहा है .
मुझे तो बस वो सूप देख के मुह में पानी आ गया :)
Aap jaante hain ki yeh pal hi baad ke jeevan ko yaadgaar banate hain.
आईये जानें ..... मैं कौन हूं !
आचार्य जी
ye aatnkwadi nahi ho sakte.
इतने प्रयोग करेंगे सूप पर तो पीने भी आना पड़ेगा ।
बड़े प्यारे, दुलारे और मनमोहक आतंकवादी हैं .....शुभकामनाएं..
लगता है ऐसे आतंकवादियों से मिलने तो आना पडेगा
विविधता से भरी पोस्ट -रंगबिरंगी !
अनुराग जी और प्रवीण जी , आपका स्वागत है शिकागो में, जल्दी से आईये !!
राम भाई इन दोनों आतंकवादियों को झेलने के अलावा और कोई चारा नहीं दिखता.. इनके आगे खुद को ही सरेंडर कर देओ.. जाल से गिरते तेज़ बारिश के पानी ने मुझे भी वापस कहीं पहुंचा दिया.. बंजारिन, मिसरायिन भी गज़ब रहीं.. आखिर में एक सवाल ग्वालियर से हैं???
जी हाँ दीपक जी, ग्वालियर से ही हूँ मैं.
ye atankvadi bade pyare hain.
सूप है या सब्जी ...जो भी हो पोस्ट अच्छी है ....खास कर ये आतंकवादी तो बड़े ही मासूम लगे ....!!
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