मोंट्रियल में इंडियन भी बहुत हैं, बहुत सारे इंडियन रेस्तरां भी हैं. जैसे मिर्ची है पुराने मोंट्रियल शहर में. पुराना मोंट्रियल बहुत खूबसूरत है ये यूरोप की याद दिलाता है, खाने के तो क्या कहने. तरह तरह के बार और रेस्तरां, जो मन में आये खाओ और दोपहर या शाम बिताओ. मुझे तो सबसे ज्यादा पसंद आया 'ला पोपेसा' जो की ११५ सैंट अंटोनियो स्ट्रीट पर है. गजब का पास्ता बनाकर दिया. लेने के लिए २० मिनट एक लम्बी लाइन से गुजरना पड़ा. पर अंत में परिणाम मजेदार रहा. अंत भला तो सब भला....वैसे भी दिन के १:३० बज रहे थे और भूख चरम सीमा पर थी.
<बाएँ में मेरा यम्मी पास्ता और दायें में रेस्तरां के नाम की तस्वीर>
<बाएँ में मेरा यम्मी पास्ता और दायें में रेस्तरां के नाम की तस्वीर>
लौटते लौटते ट्रैफिक ने रंग दिखाया, जैसे मेने पहले कहा था की मोंट्रियल में ट्राफिक की हालत बहुत ख़राब है, ५:५० की फ्लाईट पकड़ने के लिए ३:१५ पर निकला था, रेंगते रेंगते ऐसे तैसे एअरपोर्ट पहुंचा, पोर्टर एयर लाइन से बहुत कम लोग ट्रेवल करते है और इस बात का फायदा मुझे मिला, ५ बजे की फ्लाईट में जगह और VIP पास सिक्यूरिटी की लम्बी कतार को स्किप करने का. पता नहीं क्या दिखा मेरे चहरे में, मैडम ने VIP पास लगा दिया बोर्डिंग पास पर, फिर क्या ५ मिनट में सब कुछ हो गया. वैसे मोंट्रियल एअरपोर्ट पर सिक्यूरिटी की बहुत लम्बी कतार थी. जब लड्डू मिल रहे हों तो कौन खाने से मना करेगा ?
चलो शुक्रवार को ही घर पहुँच गया समय रहते, नहीं तो अंग्रेजी के 'दे' और 'ही' के चक्कर में घर निकाला ही मिल जाता ...कुछ चित्र जो आइ फ़ोन महाराज की कृपा से संभव हुये ... (ऊपर लगे हुए भी)
फ्रेंच में लिखा बोर्ड और कुछ सायकिलें ...
कुछ ऐतहासिक इमारतों और गलियों की तस्वीरें ...
सैंट कैथेरीन स्ट्रीट का एक बार रात के १०-११ बजे ...और बहुत सारे पागल लोग कई मीटर लम्बी क़तार में हॉट डॉग के लिए :)
मिर्ची इंडियन रेस्तरां और कुछ शिल्प चित्र ...
ट्रैफिक जाम और सड़क से दूर से दिखता हुआ एक विशाल गुरुद्वारा ...निगाह थोड़ी गढ़ानी पड़ेगी ...
कुछ तस्वीरें शहर की आधुनिक इमारतों की
और अंत में निराश सा बैठा मैं ...याद करता आप सब को ....
आओ कहीं नयी जगह, तो सब अजनबी से लगते है
दो चार दिन में फिर, कुछ अपने बन जाते है
ये दुनिया भावों पर टिकी है
भाषा अलग, जमीन अलग, फिर भी कुछ तो मेरे जैसा है
6 टिप्पणियां:
अच्छी तस्वीरें .. सुंदर विवरण !!
accha laga..apne pados ka shahr dekh kar...
dhanywaad...
बहुत ही खूबसूरत चित्र हैं!
मान्ट्रियल घुमाने का आभार ।
बढ़िया तस्वीरें और कविता भी अच्छी लगी.
आपके साथ मोंट्रियल घूमकर बड़ा आनंद आया । पिछले साल की यात्रा याद आ गई ।
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