ऑस्ट्रेलिया ओर अमेरिका अपने नागरिकों को दूसरे देशों में जाने के बारे में अलर्ट करते हुए ट्रेवल वार्निंग जारी करते रहते हैं। भारत में जाए तो अमुक अमुक चीजों से सावधान रहे इत्यादी इत्यादी …पर कभी अपने गिरेबान में भी तो झाँक के देखिये भाई लोगो !
अमेरिका में हम अक्सर लुटते रहते हैं उसका क्या ? यहाँ के डॉक्टर जिस हिसाब से फीस वसूल करते हैं उसको कोई हिसाब नहीं, कोई गणित नहीं ! अगर आपने बिल देख लिया, तो आप असमंसज में पड़ जायेंगे कि क्या ये मेरा ही बिल है और अगर आपको वो बिल अपनी जेब से भरना भी पड़े तो बस फिर तो आप गये काम से !
पिछले दिनों जब परिवार के साथ न्यू यार्क से शिकागो वापस जा रहे थे तो बगल की सीट पर एक महिला थी, बच्चों के शोरगुल से बात शुरू होकर भारत पर जा पहुंची। ये महिला की भी ये शिकायत थी कि अमेरिका में चिकित्सा सेवा बड़ी महंगी है, इतनी महँगी कि ये मैडम भारत जाकर डॉक्टर से इलाज कराने जा रही है है, आने जाने का टिकट और भारत में डॉक्टर का खर्चा मिला दिया जाए तो भी अमेरिका से सस्ते में काम हो जाएगा, ओर वो भी भारत के नामी गिरामी अस्पताल या डॉक्टर के पास ! दरअसल इन महिला के दांतों मैं कुछ समस्या थी, पेशे से वैसे एयर होस्टेस थी, पर फिर भी दन्त चिकित्सक का बिल इतना महंगा था कि भारत का रास्ता ही देखना पड़ा !
ये कहानी केवल इस महिला की नहीं हैं, दांतों के इलाज के लिए कई लोग अमेरिका ओर लन्दन से भारत जाते हैं ओर सस्ते में टिकाऊ इलाज करा पैसा बचा कर आते हैं। ये हालत तब है जब आप यहाँ महंगा से महंगा इन्स्योरेन्स लेकर रखते हैं!
औसतन यहाँ पर लोग महीने का ४००-५०० डॉलर परिवार का एक महीने का इन्स्योरेन्स का प्रीमियम भरते है, आपका एम्प्लोयर भी इतना ही कुछ देता होगा आपके लिए इन इन्स्योरेन्स वालों को ! जब बिल आएगा तो खून की जांच जैसे सरल चिकित्सा के लिए भी सैकड़ों डॉलर कर बिल आयेगा, फिर ये बिल इन्स्योरेन्स कंपनी को जाएगा वो अपना डिस्काउंट लगाकर इसको छोटा करते हैं , उसके बाद वो अपना भाग भरते है ओर शेष आपको भरना होता है, निर्भर करता ही कि आप किस तरह का प्लान लेकर बैठे हो, अगर आप बेरोजगार है तो बस इन बिलों से लुट ही जायेंगे !
इस बात में कोई दो राय नहीं कि चिकित्सा सेवा का स्तर बहुत ऊँचा है पर इतना बुरा हाल है कि पिछले राष्ट्रपति के चुनाव में चिकित्सा सुधार एक अहम मुद्दा था, और ओबामा पिछले एक साल से अधिक से एक चिकित्सा सेवा सुधार बिल के क्रियान्वयन में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं !
वैसे तो यहाँ साल के शुरुआत में इतने सारे इन्स्योरेन्स ले लिए जाते है कि आपकी तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं में खर्च हो जाता है, इस वजह से यहाँ बड़ी बड़ी इन्स्योरेन्स कंपनियों के मुनाफे भी बड़े बड़े होते हैं, वारेन बफ्फेट भी इस काम में घुसे पड़े हैं , इतने फायदे का जो काम है और जब विपदा आती है तो ये कंपनियां इधर उधर कन्नी काटती हुई मिलेंगी , जैसे हरीकेन (चक्रवात) कटरीना में जब पूरा ओरलियन शहर (लुइसियाना राज्य ) बर्बाद हो गया था तब वहाँ कवर कर रही सारी इन्स्योरेन्स कंपनियां भाग खड़ी हुई या दिवालिया हो गयीं, गरीब या मध्यम वर्ग को ही हर जगह पिसना पडता है ।
बीमा कि लिस्ट इतनी बड़ी है कि मुझे खुद भी सारे याद नहीं -
- स्वास्थ्य
- कार
- घर
- दाँत
- आँख
- घर के सामान का बीमा
- जीवन बीमा
- कुछ लोग नौकरी जाने का भी बीमा लेते हैं
- आकस्मिक अवस्था में सड़क पर या कहीं रिमोट में सहायता का बीमा
बात दाँतों कि समस्या से शुरू हुई थी, तो ये अंग्रेज महिला भारत में जा रही हैं अपने इलाज के लिए इन्स्योरेन्स होने के बाबजूद भी । इनको भारत पसंद है अभी तक तो - जब तक पैसा बच रह है इनका !!
मेरी पत्नी को भी २ साल पहले दाँतों में बहुत समस्या हुई थी, काफी रक्त का रसाव होता था, गर्भावस्था में ये समस्या और भी मुश्किल और असहनीय हो जाती है। डॉक्टर के सारे प्रयास बेकार थे , शायद एक दाँत को अंदर की तरफ से निकालना आवश्यक हो गया था। इसके लिए डॉक्टर कई तरह के परीक्षण करेगा और विभिन्न प्रकार की दवाइयां भी इस दौरान लेनी पड़ सकती थी जो गर्भावस्था में खाना मन था, इन सारी परेशानियों के बीच किसी ने हमें सलाह दी कि क्यूँ न रामदेव बाबा का दन्त मंजन उपयोग करके देख लो ! इस दन्त मन्जन से एक-दो दिन में ही जादू दिखाया , सारा रक्त रिसाव बंद और दर्द भी बंद। उसके बाद कई दिनों तक यही मन्जन उपयोग किया - ये तो जैसे हमारे लिए रामबाण निकला ! बाद में १ साल के बाद जब हम दाँत निकलवाने की अवस्था में थे तो उसका आराम से सफाया करवाया गया ! हमने तो ये सब यहीं कराया था क्योंकि चार लोगों का किराया जोडेंगे तो किसी भी कोण से सस्ता नहीं पड़ेगा !
वैसे भारत से दाँत सही कराकर आये कुछ देसी लोगों का कहना है कि दांतों की फिलिंग कुछ दिनों बाद ही निकलने लगती है , जैसे राष्ट्र मंडल खेलों के स्टेडियम की छत झड रही है। भारत में विश्वसनीय डॉक्टर मिलना बहुत मुश्किल है , खैर यहाँ अमेरिका में भी वही हाल है पर यहाँ पर ऑन लाइन रेटिंग वगैरह देखकर निर्णय लेने में आसानी रहती है ।
राष्ट्र मंडल खेलों का में कभी भी हिमायती नहीं रहा क्योंकि ये गुलामी के दिनों को याद दिलाते हैं, पर फिर भी जब अब वादा कर दिया है खेल कराने के और जब अब छत या पुल गिर रहे हैं या जर्जर हो रहे हैं तो भारत की रही-सही नाक विश्व विरादरी के सामने कटने का डर सा लग रहा है, यही ईश्वर से प्रार्थना है कि ये खेल शान्ति से संपन्न हो जायें, कल एक विडियो देख रहा था किरण बेदी जी का - वो बता रही थी कि जुर्म की सजा हो सकता कि जुर्म करने के समय ना मिले पर कभी ना कभी तो जरूर मिलती है, कोई है जो देख रहा है ! शायद यही इन खेलो की तैयारी में गडबड किये हजारों करोड रुपयों की सजा के रूप में कलमाडी और उनकी सेना का हाल है, दिल्ली में बारिश ने जैसे इनकी पोल खोलने और इनको सजा देना के लिए अपना तेजस्वी रूप ले रखा है! और रही सही कसार मीडिया पूरी कर देगी मसाले मिलाकर - शायद मीडिया ने भी अपना हिस्सा खा रखा होगा - इसलिए चुप थी २ सालों से !! |
ईश्वर रक्षा करे !!
16 टिप्पणियां:
चिकित्सा के बारे में सही लिखा है । इसीलिए इण्डिया में मेडिकल टूरिज्म बढ़ रहा है ।
लेकिन खेलों के बारे में मिडिया ने भ्रान्ति पैदा कर रखी है ।
कृपया रिपोर्ट्स पर न जाएँ और देखें हमने कैसे तयारी की है--अंतर्मंथन पर ।
चिकित्सा के क्षेत्र में हम यह सेवा दे सकते हैं, यही हमारी मजबूती है। पता नहीं सारे अंगों का बीमा होता है विदेशों में।
लग तो यह रहा है कि वहां इंश्योरेंस कम्पनियां भी अपना इन्श्योय्रेंस करवाती होंगी :)
दांत का इलाज सचमुच बहुत महंगा है अमेरिका में आज से नहीं दशकों से ....मेरे चाचा जी जब भी भारत आते हैं
मेरे छोटे चाचा जी यानी अपने छोटे भाई से अपना इलाज करवा जाते हैं ....
हर जगह की अपनी कथा है ।
उत्तम प्रस्तुति.. माफ़ करें पिछले कुछ दिन व्यस्त रहा तो आपके ब्लॉग से थोडा दूर रहा.
वो कहानी याद आती है कि एक दिल का मरीज डॉक्टर के पास गया. इलाज से मरीज ठीक हो गया.
कुछ हफ्ते बाद जब डॉक्टर का बिल आया तो दिल का दौरा पड़ा और वो आदमी चल बसा.
अच्छी जानकारी मिली ! डॉ दराल की बात पर गौर अवश्य करें
दांतों की फिलिंग कुछ दिनों बाद ही निकलने लगती है, जैसे राष्ट्र मंडल खेलों के स्टेडियम की छत झड रही है।
सही तुलना की है।
रोचक ढंग से जानकारी दी है ।
भाई बहुत अच्छा जानकारी दी
हमने तो ये सोचा ही नहीं कभी की दांत की भी कोई ऐसी बीमारी है जिसके लिए सोचना पड़े ...यहाँ तो कोई भी निकाल देता है १०-२० rs में और कभी पूरा बत्तीसी ही निकलवानी पड़े तो ४-५ हजार में काम हो जाता है .
हम तो यहीं ठीक है भाई तुम ऐश करो जन्नत की
दांत का इलाज तो यहाँ भी मंहगा ही है..भारत जाते हैं तो दिखलवा लेते हैं. लगता है जैसे टिकिट के पैसे वसूल हो गये.
फ्यूनरल इन्शयोरेन्स भी बहुत पापुलर पॉलिसी है यहाँ..
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जो विदेश में रहते हैं, शायद वो समझते हैं अपने देश की कद्र। एक भारत ही है जो पेट पाल रहा है अपनी इतनी विशाल जनता का। सब कुछ सस्ता हैं यहाँ । डाक्टर तो ख़ास कर के।
रही बाद खेल आयोजन की, इज्ज़त का सवाल है । हम तो प्रार्थना करेंगे सब कुछ शांति से पूरा हो जाए। रिश्वतखोर गद्दारों से तो बाद में निपट ही लिया जाएगा।
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हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद.
भैया हम तो मुम्बई के नाईयों से दुखी है, ससुरे ३० रुपये लेते हैं केवल बल काटनें के........ बनारस सही है, आज भी आठ रुपये मे काम हो जाता है। मगर आपकी बात नें तो भैया डरा दिया... बस हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद.
@दराल जी - आपने तो दिल्ली का दर्शन कराके दिल खुश कर दिया !
@प्रवीण जी - अब पूछिए मत - बीमा कि सीमाएं अनन्त हैं !
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
जैसा देश वैसा भेष ....
चिकित्सा का स्तर भारत में भी कम नही है ... ब्स सुविधाओं का स्तर कम है .....
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