रात की गहराईयाँ जहाँ पर चहल पहल पैदा करती हैं, रोशनी से जगमग इमारतें, लोगों से भरी हुई सड़क और हर कोण पर फोटो उतारते लोग - न्यूयार्क का टाईम्स स्क्वायर एक स्वप्नलोक जैसा कहूँ या फिल्मों के चमचमाहट वाली दुनिया का जीता जागता स्वरुप !
भारत की भीड़ की याद दिला देता है यहाँ पर लोगों का रेला - हर दिन - हर रात ये स्थान बस लोगों से भरा जागता ही रहता है - यहाँ कभी अँधेरा नहीं होता - जबकि मेरे गाँव में लाईट साल में गिने चुने दिन ही रहती है - वो भी डिम सी - जिस दिन डी पी या ट्रांसफोर्मर रखा जाता है तब - दिवाली भी दीयों से रोशन होती है आज २१ वी सदी के भारत के उस गाँव में! पर्वावरण की सुरक्षा के लिए रोने वाले अमेरिका ने यहाँ देखिये कितनी उर्जा खर्च कर रखी है !
कुछ फोटो के साथ छोड़ देता हूँ आज आपको - ये ३-४ सप्ताह पहले जब हम न्यू यार्क में टाईम्स स्क्वायर घूमने गये थे - शायद गुरुवार का दिन था – ४२ वीं स्ट्रीट पर स्थित ये चौराहा नुमा रोशानीमय जगह विदेशी सैलानियों से भरी पड़ी रहती है !
11 टिप्पणियां:
सुंदर भाव। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
आभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
फोटोज तो बहुत अच्छे आये हैं..
जो भी हो, यहाँ घूमने में अलग मजा आएगा... टाईम्स स्क्वायर..पता नहीं कितनी तारीफें सुन चूका हूँ इस जगह की..है भी वैसी ही :)
हमने भी देखी हैं वहाँ की लाइटे। समरथ को नहीं दोष गुसाई।
कहीं के उजाले कहीं के अँधेरे! मगर 'अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए " स्वप्न कब होगा पूरा ?
वहाँ के पुलिस वाले कितने मित्रवत दिखते हैं, यहाँ तो पुलिस के नाम से बच्चे भी डरते हैं।
बहुत सुंदर चित्र, लेकिन थोडे धुंधले है,
वहां की चमक धमक के तो क्या कहने । रात में भी दिन खिला रहता है । लेकिन फिर भी एक सूनापन सा लगता है ।
सुंदर तस्वारें!!
बहुत अच्छा लगा न्यूयार्क घूम कर ! शुक्रिया आपका
बढि़या फोटू हैं जी....बाल-गोपाल को देखकर अच्छा लगा :)
इसीलिये समाजवाद ज़रूरी है ।
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