प्रणव दादा कुछ ही दिनों में बजट पेश करने जा रहे है, क्या किसानो को अभी से सचेत हो जाना चाहिए की उनके गले पर तलवार चलने वाली है, वैसे कुछ लोग खेती की कमाई के नाम पर मोटी रकम बिना टैक्स दिए ही गटक कर जाते है, कुछ तो सरकार को सोचना चाहिए, जिससे बदले में कुछ मूलभूत ढाँचे में सुधार आ सके। वैसे कृषि पर टैक्स लगाने की बात अस्सी के दसक में उठ चुकी है, पर वोट बैंक की वजह से कोई सरकार इस मुद्दे को हाथ नही लगाना चाहती। अब कांग्रेस की सरकार वाम दलों से मुक्त है तो क्या कुछ ऐसा हो सकता है क्या ?
वैसे एक लेख मिला है रीडिफ़ पर ...http://www.rediff.com/money/2004/nov/06perfin.htm... ये कुछ और ही कहता है, जरूर पड़ें !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें