एक खेल जो भारत के क्रिकेट का अमेरिकन रूपांतरण है, आप देखो फिर थोडा टहल के आ जाओ, बीयर, जूस या चिप्स सामने से लाकर इधर उधर टहलो और फिर देखने लगो, गर्ल फ्रेंड को डेट के लिए बुलाना हो या फिर बच्चो को बाहर ले जाना हो, कोई भी उम्र हो, हर स्थिति में जंचता है ये। अमेरिकन लोगों का बहुत पसंदीदा खेल है ये, समय गुजारना हो या फिर सोसल गैदरिंग करनी है तो बहुत ही बढ़िया टाइम पास कराता है, और जी हाँ कुछ ऐसा ही बोलते है यहाँ के लोग इस खेल को - American's Favorite Pass Time !! पिछले सौ सालों से ये अमेरिका का सबसे ज्यादा मनोरंजक और पसंदीदा खेल रहा है – मैं ‘बेसबाल’ खेल की बात कर रहा हूँ !
अमेरिका में रहते इतने साल हो गये पर कभी इस खेल के नियमों और तरीकों को समझ नहीं पाया, वैसे भी क्रिकेट इतना कूट कूट कर अंदर भरा है कि बाकी खेलो के लिए समय और समझ ही कहाँ ! फिर निकुंज ने कुछ नियम समझाए और उसको खेलते देखा तो थोड़ी उत्सुकता और बढी। ये भी यहाँ की गली-गली का खेल है जिसे बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग अनौपचारिक रूप से यहाँ वहाँ खेलते मिल जायेंगे।
हर शहर की अपनी टीम होती है, हमारे शिकागो की दो महत्वपूर्ण टीम है - शिकागो कब्स और व्हाईट सोक्स। सबके अपने अपने स्टेडियम होते है और उनके स्टेडियम में उनके बारे में पूरा इतिहास मिलेगा, लोग भी अपनी अपनी टीम के दीवाने होते हैं, जिस दिन मैच हो उस दिन अपनी अपनी टीम की थीम टीशर्ट और कैप पहन पहन कर लोगों का हुजूम निकलता है। पहले से ही ऑफिस में मेल आ जाती है कि आज मैच है इसलिए भीड़ की वजह से शाम के समय घर जाने का अपना सेड्यूल थोडा एडजस्ट कर लें, अलग से कुछ ट्रेन की व्यवस्था भी रहती है जिससे लोगों को समय पर घर पहुंचाया जा सके। मुझे ध्यान है कि २००५ में जब व्हाईट सोक्स की टीम ने वर्ल्ड सीरीज जीती थी तब शिकागो कि सडकें कैसे जाम हो गयीं थी, और ऐसा ही पिछली बार न्यूयार्क में सैलाब था जब यहाँ की लोकल टीम याँकीज वर्ल्ड चैम्पियन बनी थी। तब मैं उस दिन न्यूयार्क में था, उस दिन ब्रोडवे स्ट्रीट पूरी तरह जाम हो गयी थी, गगनचुम्बी इमारतों से फूल और कटे हुए कागजो की बारिश हो रही थी लोग पता नहीं कितने दूर दूर से घंटो पहले से सड़क के आसपास जमा हो गये थे, ऑफिस तो जैसे १ घंटे के लिए पूरी खाली ही हो गयी थी, खैर !! कुल मिलाकर जहाँ की टीम जीते वहाँ एक अलग ही उत्सव का माहोल होता है।
वर्ल्ड सीरीज, जिसका जिक्र मैंने ऊपर किया है ये कोई विभिन्न देशो के बीच खेले जाने वाली श्रंखला नहीं है, बल्कि अमेरिका की विभिन्न बेसबाल टीम इस सीरीज में एक दूसरे के खिलाफ खेलती हैं और बाद में फाईनल में एक टीम जो जीतती है उसको वर्ल्ड चैम्पियन बोला जाता है।
पिछले बुधवार को मुझे जब एक मित्र ने याँकीज के एक शाम को होने वाले मैच के बारे में बताया तो फटाक से दो टिकट ओंन लाइन खरीदे - तकरीबन २ मिनट में टिकट मेरे ईमेल बॉक्स में था, वहाँ जाकर पता चला कि न्यूयार्क की टीम याँकीज २७ बार वर्ल्ड चैम्पियन रह चुकी है। मैं और निकुंज पहली बार बेसबाल स्टेडियम में मैच देखने गये, ऑफिस से थोडा जल्दी निकला, फिर भी हम ३०-४० मिनट देर से याँकीज के मैदान में पहुचे !
स्टेडियम पूरी तरह भरा हुआ था, बड़ी बड़ी स्क्रीन और तरह तरह के रेस्तरां लोगों के मनोरंजन में उत्प्रेरक का कम कर रहे थे। रंगबिरंगा मैदान, रोशनी से जगमग मैदान , ५ मंजिला मैदान, लोग रिलेक्स में बैठे थे और जैसे के पूरी तरह रंगे थे याँकीज के रंग में! दूसरी टीम को तो कोई भाव हीँ नहीं दे रहा था और न ही कोई दिखा जो बाहरी टीम को समर्थन कर रहा हो पर फिर भी दोनों ने बढ़िया खेल खेला - निकुंज भी पूरे मन से याँकीज के पक्ष में था और अंत में जीत भी उन्ही की हुई!
इस खेल में निमय थोड़े अटपटे है, खिलाडी या तो कैच आउट होता है, या फिर तीन स्ट्राईक गेंद खाली छोडने के बाद . स्ट्राईक गेंद शायद वो होती है जो सीधे स्टंप को हिट करे अगर पीछे स्टंप हो तो। इस खेल में कोई स्टंप नहीं होता। हर टीम ९ इनिंग खेलती है, और हर इनिंग में तीन खिलाडियों को आउट करना होता है, जैसे ही ३ लोग आउट हुए तो दूसरी टीम बैटिंग करने आती है, अगर बोल्लर चार गेंद बिना स्ट्राईक के फ़ेंक दे तो बैट्समन को पास मिल जाता है , इसका मतलब अगर वो आउट होने वाला हो और चार बाल नॉन स्ट्राईक हो जायें तो उसकी जगह दूसरा खिलाडी खेलने आ सकता है, इस तरह से बैटिंग टीम को थोडा फायदा हो जाता है…छक्के को होम रन बोला जाता है !!
कुल मिलाकर अनुभव मजेदार रहा…और खेल एक तरह से बोर ही लगा - जय क्रिकेट !! क्रिकेट के जितना जोश इस खेल में कहाँ !!
12 टिप्पणियां:
हमारा भी बेस बॉल का अनुभव बढ़िया रहा था..कई मैच देखने लाईव गये. :)
बढ़िया जानकारी है ये तो अमरीका से बाहर वालों के लिए.
बहुत अच्छी जानकारी।
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
हमने तो कभी देखा नहीं । क्रिकेट के आगे कुछ नहीं सूझता ।
फर्क बस इतना है की अमेरिका में बेस बाल हो या गिल्ली डंडा, आदमी मेहनत कर के उसमे दौलत और शौहरत कमा सकता है और अपने यहाँ तो क्रिकेट कमबख्त बाकी सारे खेल खा गया.
अच्छा प्रस्तुतिकरण ...
बेसबॉल के हम भी दीवाने थे कॉलेज के जमाने में... वापिस से यादें ताजा हो गईं...
कुछ कुछ समझ में आया अभी ये खेल, लेकिन और देखना परेगा पूरी तरह समझने के लिए..
और वैसे तस्वीरों से पता चल है की क्या मस्त वक्त बिता होगा आप लोगों का :)
आपकी मस्तमौलीय स्वच्छन्दता की छत्रछाया में तो निकुंज की तो चाँदी है। बेसबॉल हमको भी बहुत नहीं बुझाया।
अमेरिकन धारावाहिकों और फिल्मो द्वारा ही परिचय है बेसबॉल से देखने में तो क्रिकेट जैसा ही है और काफी जोश भरा भी दिखता है | कुछ नियम तो ऐसे ही देख कर पता चल गये थे कुछ आपने बात दिया धन्यवाद पर इस क्रिकेट के देश में हम भी उसी के दीवाने है |
बेहतरीन जानकारी के लिए शुक्रिया आपका ...
राम राम - राम भाई
शिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं
शिक्षक दिवस की बधाई
संडे की ब्लाग4वार्ता--यशवंत की चाय के साथ--आमंत्रण है…।
रग्बी कब खेलने वाले हैं :)
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