कुछ दिनों से ब्लॉग परिवार से दूर सा रहा, व्यस्तता ने ऐसा घेरा है कि कतई समय नहीं दे पा रहा हूँ।
सुबह-शाम लोगों का हुजूम देखता हूँ यहाँ न्यूयार्क में, लोग जो हर समय कुछ न कुछ पढ़ रहे हैं, कितनी भी भीड़ में हो पर किसी के हाथ में कोई परचा है तो किसी के हाथ में कोई किताब, तो कई सारे अपने-अपने स्मार्ट फोन पर उंगलियां चला रहे हैं मैं भी शायद सारे दिन निस्तब्ध सा यही करता रहता हूँ।
लोगों की भीढ़ एक दूसरे को एक स्थान से दूसरे गन्तव्य स्थान पर अपने आप ले जाती है और उस गहमागहमी में भी लोगों की आँखे कहीं न कहीं लगी रहती है। चाहे आने वाली ट्रेन का इंतजार हो या फिर रास्ते में तेजी से चल रहे कदम हों , फोन से निकला हुआ एक तार दोनों कानों को जैसे हथकड़ी में जकडा हो , इन्द्रियां कितनी काबू में हैं - आँखे व्यस्त , कान भी व्यस्त और मुँह तो बस औपचारिक अभिवादन के लिए ही खुलता है - पर क्या ज्ञान कि तृप्ति हो रही है ? क्या अभिलाषा की संतुष्टि इन सब संचार माध्यमों से हो रही है ? या फिर हम सब एक अनन्त श्रंखला में सन्निहित हो बस होड़ में जो मिला उसे आनंद समझ - समय को , मन को और खुद के जीवन में आये अनचाहे असंतोष से पनपी चिडचिडाहट को भगाने के लिए ये सब करते रहते हैं - एक तरह से समय की बर्बादी और अपने शरीर को कभी न विश्राम देने की जैसे हमने ठान ली हो ! विशेषकर बड़े शहर के लोगों ने तो जैसे ये ठान ही लिया है। वैसे ही इतना व्यस्त जीवन और ऊपर से ये डिजिटल गजेटों का नशा।
कुछ लोग और शायद मैं भी सिग्नल पर भी अपने फोन में अंदर घुस अपने ईमेल और पता नहीं क्या क्या बार देखते रहते हैं , फिर भी दोस्तों से शिकायत ही रहती है कि आप तो फोन ही नहीं करते - शायद जो करना चाहिए वो हम नहीं करते । कुछ दिन पहले बिसिनेस वीक पत्रिका में पढ़ रहा था कि कैलिफोर्निना में एक विधायक ने प्रस्ताव दिया है कि क्यूँ न लोगों की व्यस्तता का फायदा लिया जाए, कार की नंबर प्लेट को अगर डिजिटल बना दिया जाए जहाँ पर एक चिप या वायरलेस के माध्यम से हर समय कुछ विज्ञापन आते रहें , लोग फोन पर चिपकने या फोन पर ध्यान खपाने की जगह आगे वाली कार की प्लेट पर ध्यान देंगे जिससे दुर्घटनाएं कम होंगी और विभिन्न कंपनियों को अपने उत्पाद का प्रचार करने का एक नया तरीका भी मिलेगा और कुछ फायदा कार मालिकों को भी होगा। बेकार आईडिया नहीं है, हो सकता है आगे आने वाले वर्षों में कार की प्लेट से लेकर हमारी शर्ट और पैंट तक डिजिटल हो जायें !!
शिकागो और न्यू यार्क में पुलिस वालो के चलने को डिजिटल कर दिया गया है अब वे अपने इन डिजिटल पैरों के उपयोग से बिना थके कितना भी भाग सकते हैं और साथ में नेविगेटर से आगे बढ़ने की दिशा भी पल पल ले सकते हैं, आशा है कि ये पुलिस वाले अपने पैरों को भी चलित रखेंगे जिससे इनका डिजिटल पैर खराब या बैटरी विहीन हो जाए तो पैरों से भी भाग सकें , भारत में पुलिस वालों को दे दिया जाए तो हमारे सिपाहियों के पेट और भी बड़े हो जायेंगे।
जब बात डिजिटलपन की चली है तो आईफोन की एक छोटी सी ऐप का जिक्र भी करना पड़ेगा, ये प्रोग्राम किसी भी चीज पर उल्लेखित बारकोड को पढ़ कर उसकी कीमत दुनिया भर की जगहों पर आपको बता देगा जिससे आप जान सकें कि कहाँ क्या कीमत है इस चीज की! अगर बारकोड नहीं है तो ये उस चीज का फोटो खींच कर भी कीमत लाने का प्रयास करेगा - यानी आप कहीं भी खड़े होकर , किसी भी स्टोर में जाकर वहाँ रखी चीज की कीमत की तुलना अन्य दुकानों से कर सकते हैं।
पर इतना दिमाग लगा कर क्या जीवन सरल हुआ है - मेरे हिसाब से और भी कठिन हुआ है, झमेलों वाली सरलता ….इस डिजिटलपन से आ रही है !!!