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सोमवार, 31 मई 2010

मैं कहाँ पर हूँ ...

शिकागो   --->   डोर काउंटी    --->   शिकागो     --->    टोरोंटो
२७/28 मई          २८/२९/३० मई         ३०/३१ मई             आज

कंप्यूटर को आज जाकर छुआ है,  दिनचर्या बहुत व्यस्त हो गयी है. बस पैकिंग, अनपैकिंग, ड्राइविंग और फ्लाईंग ने सब कुछ अस्त व्यस्त कर दिया है.  डोर काउंटी प्राकृतिक सुन्दरता से भरा स्थल है,  वहाँ जाकर बहुत तारो ताजा अनुभव करता हूँ, लग रहा है उसके बारे में एक बड़ी सी पोस्ट लिखनी पड़ेगी.  मिशिगन झील की विशालता ने सबको अपने जादू में समेट रखा है.  कहीं सूर्यास्त का इन्तजार करते लोग तो कही पार्क में hiking और biking करते लोग. 
कुछ जगह जहाँ पानी की तरंगे बार बार नहीं आती उधर पानी में काई लग जाती है और लोग उस पानी में पैर तक नहीं डालना चाहते, यही मैंने सोचा की अगर ब्लॉग पर विचार बहेंगे नहीं तो इसमें भी सूखा पन आ जाएगा.
इसलिए सोचा की जल्दी में थोडा सा अपडेट डाल दूं.


बाकी कुछ देर में... 
डिनर के लिए कोई अच्छी सी जगह भी देखना है .....

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

फोन नम्बर तो दो या फोन करो.

श्यामल सुमन ने कहा…

बिल्कुल सही - काई नहीं लगनी चाहिए - गत्यात्मकता जारी रहे।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

घूमते और जागृत रहिये, काई लग ही नहीं सकती ।

आचार्य उदय ने कहा…

आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हारिए न हिम्मत,
बिसारिए न राम!
पूर्म होंगे सभी काम!

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह वाह, लगता है कही जाने की तेयारी चल रही है, लेकिन इतनी बेचेनी क्यो, दो चार जोडी कपडे डालो बेग मै, चलने से पहले कार की टंकी फ़ुल ओर ७,८सॊ किलो मीटर तक बेफ़िक्र चलो, हां जब भारत जाना हो तो ऎसी ही बेचेनी होती है...
हमारी शुभकामनाये आप की यात्रा के लिये

भवदीप सिंह ने कहा…

बिना लड्डू खिलाये विलायत चले गए. चलो कोई बात नहीं. विदेश से एक अच्छी सी घडी और धुप का चश्मा जरुर ले आना हमारे लिए