मेरी आवाज
राम (कुमार) त्यागी के मन के अंतर्द्वंदों का प्रतिबिम्ब ...
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बुधवार, 1 अक्तूबर 2008
नया नया मौसम
वृक्षों के पत्ते अपना रंग क्यूं बदल रहे है
शायद कोई परिवर्तन की बेला हो
या फिर ये कोई नई कला है इनकी
भगवा रंग की चादर जैसे ओड़ रहे हों
उड़ते सुनहरे रंग के ये पत्ते
ठंडी हवा की कोमल झपकी सी दे जाते है
पत्झढ़ बोलूँ या फाल
नये मौसम का है ये आगाज।
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