परिवर्तन शब्द अपने आप में कितना कुछ समाहित करके रखता है, एक युग से दूसरे युग का परिवर्तन हो, या फिर एक सदी से दूसरी सदी का परिवर्तन, एक देश से दूसरे देश में जाने का, या फिर एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में रमने का ….हर परिवर्तन अपने साथ एक नया उत्साह, नयी ऊर्जा, या फिर संवेदना, निराशा लेकर आता है | परिवर्तन यादों को भी प्रतिचिन्हित करता है तो हर परिवर्तन इतिहास के पन्नों की पंक्तियाँ भी लिखता है |
अभी भारत देश ने रुपये का चिन्ह निकाला, लोगों में एक असीम उत्साह था इस खोज पर, इस घोषणा पर | परिवर्तन यहाँ पर एक चिन्ह के इर्दगिर्द घूमकर भी लोगों में आत्मसम्मान और उर्जा का प्रतिबिम्ब होता दिखा ! यहाँ देखें तो एक परिवर्तन देश को एकसूत्र में पिरोने का वाहक बना | देश में हर दल चुनाव के समय परिवर्तन का हवाला देता है और फिर ५ साल तक ये दल परिवर्तन तो नहीं, हवाला करते रहते हैं, परिवर्तन सिर्फ एक दल से दूसरे दल के बदलाव तक सीमित रह जाता है | काश ! नेता लोग परिवर्तन शब्द की महत्ता को समझते या फिर हम जैसे मतदाता शब्दकोष से इसका अर्थ खंगाल पाते !!
कल टोरंटो से ४:२० बजे शाम का हवाई जहाज पकडना था, शिकागो ५:१० बजे पहुँचना था, टोरंटो का समय शिकागो के समय से १ घंटे आगे रहता है और ये १:३० घंटे की यात्रा होती है! पर पता चला कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण मीटिंग है ४ से ५ बजे तक तो फ्लाईट को ७:१० PM के लिए शिफ्ट कराया, मीटिंग से पहले क्लाईंट को बता दिया गया था कि कुछ लोग ट्रेवल कर रहे हैं, इसलिए सब समय का विशेष ध्यान रखें | हमने भी पहले से ही टैक्सी को बुला लिया था, जैसी ही मीटिंग ५ बजे से थोडा पहले समाप्त हुई, भाग लिए एअरपोर्ट की तरफ, नीचे सरदार जी टैक्सी लेकर हमारा इन्तजार कर रहे थे, उनको बताया जल्दी पहुँचाने का तो उन्होंने देसी स्टाईल में इधर उधर घुमाके जल्दी से एअरपोर्ट पर पटका !
अमेरिका जाने वाले लोगों का उत्प्रवासन जांच कनाडा में ही हो जाता है, अमेरिका कस्टम ने यहीं एअरपोर्ट पर अपने काउंटर खोल रखे हैं | सौभाग्य से लाइन बहुत छोटी थी और हम निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही अपने फ्लाईट द्वार पर पहुँच गए थे …वैसे कनाडा में लोग बहुत कम है इसलिए मुझे कहीं लंबी लाइन या व्यस्त रोड नहीं दिखी, पर फिर भी अमेरिका के कस्टम काउंटर पर भीड़ रहती है क्यूंकि यहाँ ज्यादातर लोग अमेरिका से ही आते जाते हैं !
मैं तो कुछ खाने पीने का सामान और कुछ पत्रिकाएँ खरीद कर बैठ गया इंतजार करने , लैपटॉप खोला, इन्टरनेट लगाया और बस कुछ ऑफिस का काम करने लगा | कुछ सप्ताहों से काम का बोझ इतना ज्यादा है कि ऑफिस के काम के अलावा कुछ और कर ही नहीं पाता :( खैर ७ बजे तो पता चला कि घोषणा हो रही है कि शिकागो से आने वाला हवाईजहाज कुछ मौसम की खराबी से उड़ नहीं पा रहा है , यही हवाई जहाज हमें वापस लेकर जाएगा तो हमारा जाने का टाइम परिवर्तित कर दिया ८:१० बजे के लिए ….हमने इधर उधर फेसबुक और बज्ज पर कुछ चहलकदमी की तो पता चला कि शिकागो में मौसम तो भला चंगा है , कुछ और तकनीकी खराबी होगी जिसे मौसम के मत्थे मढ दिया गया है …सूचना तकनीक ने बहुत परिवर्तन लाया है , आजकल कुछ ही पलों में सूचना मायाजाल में फैल जाती है, पर फिर भी झूठ बोले जाते हैं, हवाई जहाज चलाने वाली कंपनी तो हमेशा ही झूठ का सहारा लेती है जब भी कुछ विलम्ब हो !!
खैर ऐसे तैसे ९:३० बजे रात को विमान का उड़ना तय किया गया, ९:२५ बजे शिकागो वाली फ्लाईट आ गयी, तो एक और किस्सा खड़ा हो गया - अब तक अमेरिका के कस्टम वाले काउंटर बंद हो गए थे इसलिए इस एअरपोर्ट पर अमेरिका जाने वाला कोई यात्री प्रवेश नहीं कर सकेगा जब तक सुबह ना हो | शिकागो से आने वाली फ्लाईट परिचारिका की उड़ान सीमा आज के लिए पूरी हो चुकी थी और नियम के हिसाब से वो अब उड़ान में हमारी परिचारिका बन कर वापस नहीं जा सकती :) और एअरपोर्ट के बाहर से कोई आ नहीं सकता क्यूंकि अमेरिका का कस्टम बंद हो चुका है ! यहाँ मुझे लगा कि देशो के बीच की सीमा, सीमा ही रहती है चाहे अमेरिका- कनाडा हों या फिर भारत – पाकिस्तान !!
१५-२० मिनट की जद्दोजहद और नोंकझोंक के बाद कुछ आशा की किरण दिखाई दी, उसी समय एक और फ्लाईट कहीं से आई थी और उसमें से एक परिचारक हमारी फ्लाईट में हमारे साथ उड़ने तैयार हो गया | एक घाटा हुआ – समन्यतः महिला परिचारक होती है और ये थे पुरुष ….:-)
उड़े और पहुंचे शिकागो - टैक्सी में बैठ बिठाकर कुछ आधी रात के समय घर पहुँच पाये ! देखो फ्लाईट के परिवर्तन ने कितने झमेले खड़े कर दिए , वो तो इन्टरनेट था नहीं तो पता नहीं कितना खिजिया जाते :) लोग इन्तजार करते करते चिडचिडे हो जाते हैं और यही वहाँ का नजारा था !!
लोग वातानुकूलित वातावरण में ज्यादा खिजियाते देखे है, गाँव में मिटटी के तेल की दूकान पर पीपा हाथ में लिए चिलचिलाती धूप में खड़े लोगों को भी इतना परेशान होते नहीं देखा ! शायद आवश्यकता की खुजली झुंझलाहट की गर्मी को कम कर देती है !
मैं भी शायद परिवर्तन का अनाम सा प्रतीक हूँ, जिसने राशन की दूकान में खड़े होने से लेकर यहाँ तक का सफर तय किया है, परिवर्तन की इस सुखद यात्रा में अब वापस जाने का मन है उसी पुरानी पंक्ति में खड़े होकर जुकियाने (चुटियाने) का मन है !! सच ही है परिवर्तन प्रकृति का नियम है जो मानव स्वभाव को लगाए रखता है एक क्रमबद्ध प्रयास में …..
परिवर्तन ही तो मुझको
चलायमान कर जाता
वरना मेरे भावों को
कौन प्रखर कर पाता
बीते पल सुमधुर यादों के
शायद विस्मृत हो जाते
परिवर्तन नकार के पन्ने
इतिहास न बनने पाते
14 टिप्पणियां:
बहुत सही विश्लेषण किया....दो परिस्थितियों का.
परिवर्तन के साथ कदम ताल मिलाये बिना जीवन निरर्थक है..बहुत उम्दा संदेश दे रही है यह रचना..रचना छोटी..संदेश बड़ा. बधाई.
परिवर्तन में ही नवीनता है। तकनीकी और मौसमी खराबी के कारण कठिनाइयां उत्पन्न हो ही जाती हैं लेकिन दुख तब होता है जब भारत में ऐसा कुछ हो जाए तो सीधे ही देश को गाली दे दी जाती है। मैंने देखा है कि अमेरिका में लोग बड़े धैर्य और शान्ति के साथ लम्बी कतार में खड़े रहते हैं लेकिन अपने देश में एक मिनट में ही हाथापाई पर उतर जाते हैं।
बिलकुल..
अजित जी की बातें भी बहुत सही हैं
परिवर्तन नकार के पन्ने
इतिहास न बनने पाते..
gehri baat !
Change is the only thing which is constant !
Changes are welcome !
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परिवर्तन के साथ-साथ कहीं अपनी जड़ों से जुड़े रहने की लालसा भी बनी रहती है। शायद यही मनुष्य की विडम्बना है!
चलिये आप पहुच तो गये...लेकिन थोडा अजीब लगा, लेकिन क्या करे...हर देश के अपने नियम है
रोचक संस्मरण...और परिवर्तन तो सृष्टि का नियम है
... बेहतरीन पोस्ट!!!
परिवर्तन तो सत्य है जीवन का।
अरे वाह..!
संस्मारण का संस्मरण और पोस्ट की पोस्ट!
--
शानदार!
बहुत अच्छा सन्देश देती रचना.
आभार.
बहुत अच्छी रचना.
कस्टम clearance से याद आया. जून-जुलाई में हम लोग कनाडा गए थे कार से. वापसी में उस कस्टम वाले ने पूछा के भाई खाने पीने का कुछ सामान है क्या? हम ठहरे हरिश्चंदर के खानदान से.. बोले... १ cooler है जिसमे पानी है, juice है, इसके अलावा १ संतरा है, १ सेव है, ४ केले हैं.
ऑफिसर बोला, के सब ठीक है. पर वो जो १ संतरा है, वो हमें दे जाओ. पहले तो अजीब लगा के भाई ये अच्चा है के जिस चीज को खाने का मन है वो रखवा लो. पर फिर सोचा के वर्दी पहनी है, वो भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की. तो कुछ सोच कर ही संतरा माँगा होगा. पुचा के संतरा क्यों ले रहे हो? बोला के कनाडा में संतरों में बीमारी हो सकती है. बीवी फिर भी संतुष्ट नहीं हुयी. बोली और डिटेल में समझाओ. तो वर्दीधारी ने इक बड़ा सा literature दे दिया. बाद में उसे पड़ा तो बात वाजिब लगी.
@भवदीप, बहुत दिन बात दिखाई दिए हो ...और संस्मरण तो बढ़िया फिट रहा मेरी पोस्ट के साथ !! आते रहो ...शायद ये टोरंटो का मेरा लास्ट ट्रिप है !!
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