पानी की बड़ी महिमा है , ये आग बुझा दे , और प्यास भी बुझा दे, और अश्रु बनकर भावों को बता देता है, ओस बनकर सुबह सूर्य की किरणों को अलोकिक बना देता है. फसल भी इसके बिना उग नहीं पाये और प्राणी पानी के बिना जीवन को भी न जी पाये.
लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है, यही पानी प्रलय भी ला दे , बाढ़ बनकर सब कुछ मिटा दे, तैरना न आये तो आपकी जान भी ले ले. एक तरफ जीवनदायी तो दूसरी तरफ विनास का द्योतक भी. अधिक बरसे या फिर ओले पड़ जाएँ तो फसल को बर्बाद भी कर देता है. एक जगह भरा रहे तो मच्छर और कीड़े मकोडो के प्रदूसन से आपको बीमार भी कर सकता है.
यही हम सब लोगो का हाल है, निर्भर करता है कि हम किस रूप में दूसरो के सामने आ पाते है. संयम और धैर्यवान हमें मसीहा बना देता है, वही हमें हमारा क्रोध सबका और खुद का दुश्मन बना देता है.
ब्लॉग्गिंग का भी वही हाल है, टाइम पास करने का साधन भी ये हो सकता है और कुछ गंभीर मुद्दों पर चिंतन और मनन करने का श्रोत भी. ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम किस दिशा में जा रहे है.
एक चीज और, मजेदार चीज जल्दी लिखी जा सकती है - दो लाइन लिख दो चटपटी काम हो गया, या फिर किसी न्यूज़ को अपनी तरफ से एक्सप्लेन कर दो, पर कुछ सार्थक लिखने के लिए आप शोध करते है, पढ़ते है, आंकड़े देखते है और फिर एक सूचना प्रदान करने वाला लेख लिखते है. गंभीर और मजेदार दोनों का मिश्रण होना भी जरूरी है, तभी ब्लॉग्गिंग सचमुच में एक पसंद का विषय बन पाएगी , नहीं तो एक बोर और गूढ़ विषय बनकर रह जायेगी.
मैं हिंदी ब्लॉग्गिंग में भी लड़ाई झगड़े, प्यार, चुटकुले और गंभीर विषयों पर लेख देख रहा हूँ और दिनों दिन बहुत अच्छे लोग ब्लॉग्गिंग करने आ रहे है. कुछ सरकारी अफसर भी है जो पता नहीं ऑफिस में काम कैसा करते है, पर इधर बहुत अच्छा लिखते है तो कुछ मेरे जैसे लोग है जो देश से दूर रहकर भी इस माध्यम के जरिये देश के पास रहना चाहते है ...कुल मिलाकर ....
क्या कोई नेता भी ब्लॉग पर है क्या ? pls dont tell me about Amar singh :)
**ज्ञानदत्त पाण्डेय जी ने सही पॉइंट दिया :"कुछ सरकारी अफसर भी है जो पता नहीं ऑफिस में काम कैसा करते है,
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कोई अपने मूल काम में फिसड्डी है तो ब्लॉगिंग भी ढ्ंग से नहीं कर सकता। :) "
6 टिप्पणियां:
सही लिखा. हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. पर हम अपनी सुविधानुसार या रुचिनुसार एक ही पहलू देखते हैं. दूसरा पहलू ज्यादातार अनदेखा ही कर दिया जाता है.
ऐसे ही लिखते रहो! हमें जागरूक करते रहो.
हाँ वो "जल ही जीवन है" तुमने "जल स्वस्थे अभियांत्रिकी" (पी. एच. ई.) विभाग के किसी वाहन पर लिखा देखा होगा. मेरे पिता उसी विभाग में कार्यरत रहे हैं तो मुझे अची तरह से ये लाइन रट गयी थी.
तुम्हारा मित्र
भवदीप सिंह
ऊपर जन को जल कर दिया टाईप रायटर ने. में लिखना चाहता था "जन स्वस्थे अभियांत्रिकी"
-- भवदीप सिंह
थैंक्स भवदीप भाई. हां नगरपालिका की हर टंकी पर 'जल ही जीवन लिखा होता है'
अफलातून हैं न यहाँ पर:
http://www.blogger.com/profile/08027328950261133052
कुछ सरकारी अफसर भी है जो पता नहीं ऑफिस में काम कैसा करते है,
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कोई अपने मूल काम में फिसड्डी है तो ब्लॉगिंग भी ढ्ंग से नहीं कर सकता। :)
I will have to be agree with you on that point. Sometimes ur sentiments or emotions are so heavy that you don't see the other part of logic , I guess that's why I ignored while writting.
I will include ur comments in blog when I back home.
Last but not least, glad to see you on my unnoticed blog:)
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