
जी हाँ में जब भी अपनी बीबी को देखता हूँ यही सवाल आता है और प्यार उमड़ पड़ता है. चलो आज बालिका दिवस भी है तो कुछ बीबी की तारीफ ही कर देता हूँ , नही तो खटपट से ही फुरसत कहाँ मिलती है. शादी को कुछ साल जो गए है तो हम भी दुनियादारी से कहाँ बच पायेंगे. चिकागो की -४०' सेन्टीग्रेड की ठण्ड बोलो या कोई फ्लू, पिछले २-३ सप्ताह से कोई न कोई बीमार चल रहा है घर में, ऐसे में रात दिन लगे रहने का , लगातार बच्चो की कोयं कोयं और मेरी नौकरी की धोयं धोयं में मेरी पत्नी ने जो साहस और घर को चलाने का काम किया है वोह काबिले तारीफ है. इंडिया भी हम इस महीने के अंत में आ रहे है तो पैकिंग और लोगो के लिए कुछ लाने देने का काम भी जोर शोर से चल रहा है और में ब्लॉग भी एक्टिव रूप से लिख रहा हूँ, इसे में भी रोज डिनर में बड़े बड़े पकवान खाने को मिल रहे है, कल की ही लीजिये ..४ महीने का बच्चा गोद से नही उतर रहा सर्दी और जुक्कम की वजह से , ५ साल वाला अपनी डिमांड पूरी कराना चाहता है और फिर मेरे को गाड़ी से स्टेशन छोड़ना, लेने आना, बड़े लडके को स्कूल छोड़ कर आना और लेकर आना और ऊपर से छोटू का कोयं कोयं ...फिर भी कल दाल बाटी का मजे लेने को मिला और मेने क्या किया ....न्यूज़ सुनना और मस्ती से सोफे पर पड़े रहना ...और इसी व्यस्त दिनचर्या में आज भी पाव भाजी मिली , उससे पहले दिन छोला बटुरा ....आज के दिन तहे दिल से इस महान बीवी की धन्यवाद देता हूँ जो हमेशा अपने चहरे पर मुस्कराहट ही रखती है.
कोई विभीषण बनाकर इस लेख को उस तक भेज ना देना, नही तो ये सब सार्वजानिक कराने के एवज में हो सकता है फिर कभी एसा treatment ना मिले !!
अच्छे काम की शुरुआत घर से ही करनी चाहिए इसलिए आज सबसे पहले गृहलक्ष्मी की बड़ाई की , वैसे इस बालिका दिवस ("http://economictimes.indiatimes.com/ET_Cetera/National_Girl_Child_day_on_Jan_24/articleshow/3942980.cms" ) पर चलो प्रण करें की जैसे भी हो भ्रूण हत्या को रोकेंगे, दहेज़ से दूर रहेंगे और संजय दत्त की तरह लड़की को कभी उपनाम के लिए कोई शर्त नही रखेंगे. जब हमारा दूसरा बच्चा होने वाला था, हमारी हार्दिक इच्छा थी की लड़की हो और हुआ लड़का ...मतलब में जानता हूँ की लड़की न होना कितना बुरा लगता है......all in all लड़का हो लड़की ..दोनों एक ही जैसे होते है ....
पर भारत में अभी आकंडे कुछ और ही कहते है ...http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/story.aspx?id=NEWEN20090080219&ch=1/17/2009201:04:00%20AM .
इस लिक को अगर पढ़ा जाए तो पता चलेगा की २००८ में
- ४५ प्रतिशत लड़कियाँ १८ साल की होने से पहले ही शादी करने के लिए मजबूर थी
- ७८,००० औरतें बच्चा पैदा होने के समय मर गयीं क्यूंकि या तो शारीरिक रूप से तैयार नही थी या फिर भोजन की कमी थी
- १००0,००० नवजात शिशु हर साल मर जाते है उनमें से ४० % पैदा होने के पहले सप्ताह में ही .
- और ना जाने कितनी हत्याए पैदा होने से पहले ही जो रिकॉर्ड में भी नही आ पाती
ये आंकड़े दर्शाते है की हमें जाग्रत होना पड़ेगा !!!