क्या आप विषय देखकर चकित रह गये की इसको ये समाचार कहाँ से मिला, अरे भाई ये तो पूरे विश्व ने देखा जब हमारे युवा कर्णधार ने अपने फिरंगी दोस्त को अमेठी के किसी गाँव के एक गरीब परिवार से मिलाया और उसके यहाँ पशुओ के बीच खटिया पर रात गुजारी और बेचारा मिलबंद रात भर सो भी नही पाया। अपने इधर तो यही रिवाज है की मेहमान को अच्छी चीज दिखाते है जिससे जग हंसाई न हो। राहुल ने गाँव के लोगो को उस फिरंगी के सामने ऐसे प्रस्तुत किया जैसे उसको सर्कस दिखने ले गए हो। अमेठी पर ५० सालो से कौन जीतता आ रहा है ? शायद जबाब होगा भारत का शाही परिवार गाँधी परिवार, फिर क्यूं नही विकास हुआ , राजीव, इंदिरा जी और सोनिया से लेकर राहुल लाला ने क्यों नही इनका जीवन स्तर ऊँचा उठाने की कोसिस की ? क्यों नही भारत के प्रधानमत्री रहे लोगो का चुनाव क्षेत्र बाकी देश के लिए मिसाल न बन पाया ? उत्तर बहुत आसान है, ध्यान ही नही दिया और जब ख़ुद की मार्केटिंग की बात आई तो राहुल गाँव से जुड़ने के बहाने उस गरीब महिला के घर सर्कस करने पहुँच गए।
राहुल और अन्य नेताओ में कोई फर्क नही नजर आ रहा सिर्फ इसके की इनको मार्केटिंग का आधुनिक तरीका आता है। राहुल को सबके सामने ये बात स्वीकार करनी चाहिए की उसके परिवार की वजह से अमेठी भी देश के अन्य भागो की तरह पिछड़ा है, रुकिए ज़रा .... ये स्वीकारोक्ति करनी होगी की गरीब और गरीब हुआ है और जो गाँधी परिवार को चाटने वाले थे उनका विकास हुआ है, वह लोग या तो राजनीती में , या धंधे में , या फिर गुंडागर्दी में आगे बढाए गए। गरीबो की तरफ इन लोगो ने कभी गंभीरता से ध्यान दिया ही नही, तभी तो गरीब विधवा की ये हालत है की राहुल की यात्रा के बाद मायावती ने उसके लिए अपने अफसर के हाथ ५०० रुपये भिजवाये, मायावती जो करोडो में खेलती है अपने आपको ५०० रुपये दान देकर रास्ट्रीय मीडिया के सामने महान बन रही थी।
में अपनी एक पुरानी कविता यहाँ लिखना चाहूँगा, की में पल पल यहाँ क्यों परेसान होता हूँ -
बहुत दुख देती है मेरे भारत की बीमारी मुझे
नाटक सा लगता है आज का ये विकास जहाँ सब कुछ है पर कुछ भी नहीं
कोई नही सुनता आज भी गरीब की, कोई नही देखता भूखे किसान को
न्याय के गलियारे हो या फिर सत्ता की बिसातें, हर जगह बिकती है ईमानदारी ....
राहुल और अन्य नेताओ में कोई फर्क नही नजर आ रहा सिर्फ इसके की इनको मार्केटिंग का आधुनिक तरीका आता है। राहुल को सबके सामने ये बात स्वीकार करनी चाहिए की उसके परिवार की वजह से अमेठी भी देश के अन्य भागो की तरह पिछड़ा है, रुकिए ज़रा .... ये स्वीकारोक्ति करनी होगी की गरीब और गरीब हुआ है और जो गाँधी परिवार को चाटने वाले थे उनका विकास हुआ है, वह लोग या तो राजनीती में , या धंधे में , या फिर गुंडागर्दी में आगे बढाए गए। गरीबो की तरफ इन लोगो ने कभी गंभीरता से ध्यान दिया ही नही, तभी तो गरीब विधवा की ये हालत है की राहुल की यात्रा के बाद मायावती ने उसके लिए अपने अफसर के हाथ ५०० रुपये भिजवाये, मायावती जो करोडो में खेलती है अपने आपको ५०० रुपये दान देकर रास्ट्रीय मीडिया के सामने महान बन रही थी।
में अपनी एक पुरानी कविता यहाँ लिखना चाहूँगा, की में पल पल यहाँ क्यों परेसान होता हूँ -
बहुत दुख देती है मेरे भारत की बीमारी मुझे
नाटक सा लगता है आज का ये विकास जहाँ सब कुछ है पर कुछ भी नहीं
कोई नही सुनता आज भी गरीब की, कोई नही देखता भूखे किसान को
न्याय के गलियारे हो या फिर सत्ता की बिसातें, हर जगह बिकती है ईमानदारी ....
पूरी कविता इस लिंक पर पढ़ें - http://kavitacollection.blogspot.com/2009/01/blog-post_3476.html
में राहुल के यथार्थवादी द्रष्टिकोण का सम्मान करता हूँ पर साथ ही उन्हें अपने और अपने परिवार की गलतियों को मानकर उनका प्रायश्चित करना चाहिए। सिर्फ राजनीती और भावुकता से काम नही चलेगा, कुछ काम भी करके दिखाना पड़ेगा। मेरा भारत महान का नारा लगाने वाली कांग्रेस को भारत के बारे में अंतर्मन से विश्लेषण करने की जरूरत है। मोदी से कुछ सीखो जो गुजरात को मेरा भारत महान के सही सन्दर्भ का व्याख्यान बना रहे है। राहुल को उस फिरंगी मंत्री को अमेठी के साथ साथ गुजरात के किसी विकसित ग्राम का दौरा भी कराना चाहिए था। मैं आशा करता हूँ की अमेठी को अंगूठा दिखाने की बजाय ये राजकुमार उसको कुछ अनूठा देने की कोशिश करेंगे।
इसी आशा के साथ ....
2 टिप्पणियां:
chaliye aap aur ham to rahul baba ki asaliyat jan gaye ....ki kis tarah se puw suniyojit hokar ye sab natak khela jata hai ...garib daliton ko emotional blackmail kiya jata hai ...............
lakin is satya ko jinhe janna chahye wo to aankh rahte andhe bane firte hain kabhi maya ,mulayam , lalu to ab rahul ke sang ..................
dalit ke ghar sone se uski samasya khatm ho jati ,uska wikas hota to ham bhi har kisi din ek dalit ke jhopre main sote ..............................
rahul baba sabak le na le ........janta ko sabak lene ki jarurat hai ...............
दोस्तों, देश मै वर्तमान हालत के चलते एक बहुत बड़ी तादात ऐसे युवाओ की तैयार हो रही है !जो स्वयम के हित साधने के लिए सारे नियम ताक पर रखने को तैयार है !हम सारे देश को नहीं सुधार सकते ,परन्तु स्वयम के कर्तव्यो का सात्विकता से पालन कर अपने आस -पास के लोगो के सामने आदर्श प्रस्तुत कर सकते है आइये इस गणतंत्र दिवस पर देश हित मै स्वयम के निमित्त संकल्प ले ! "सुधरे व्यक्ति ,समाज व्यक्ति से ,राष्ट्र स्वयम सुधरेगा ! जय हिंद
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