पिछले कुछ दिनों से जिंदगी बहुत व्यस्त थी, हमारे घर में एक नए सदस्य का आगमन हुआ है, मेरे दूसरे पुत्र का जन्म ११ सितम्बर को अमेरिकन टाइम के हिसाब से सुबह १०:०१ बजे हुआ, हमने इस नन्हे पौधे का नाम अमेय दिया। एस हेतु मेरे माता पिता भी इधर ही आए हुए है सो उनके साथ भी थोड़ा व्यस्त हो गया था। ये सब बहाने थे मेरे अपने पन्ने पर न आने के, वैसे मेरे ज्यादा पड़ने वाले भी इधर नही है तो कोई फर्क नही पड़ता पर जैसा की मेने एक बार लिखा था की कोशिस regular होती रहनी चाहिए लिखने की बिना आलस्य और बहाने के।
इन दिनों में देश एक तरफ आतंकवाद में झुलसा तो दूसरी तरफ साम्प्रदायिकता की आड़ में, नेता लोग एस दौरान बिल्कुल उम्मीदों पर खरे उतरे और उन्होंने वही व्यवहार दर्शाया जिसकी सबको उम्मीद थी। किसी ने बजरंग दल को सिमी जैसा बताया तो किसी ने बोला की हम आतंकवादियों के सामने नही झुकने वाले। हमारे योग्य पर अक्षम्य प्रधानमंत्री जी ने हमेशा की तरह फिर से कड़े क़ानून को न लाने की वकालत कर सोनिया जी को खुश किया। उधर शिवराज पाटिल जी ने भी मैडम सोनिया जी के दरबार में पेशी कर अपनी कुर्सी बचने की कोशिश करते रहे और सफल भी रहे पर कभी भी देश को बचाने के लिए मेरे को कर्त्व्यनिस्ठ नजर नही आए। किसी ने मोदी के उन शब्दों पर ध्यान नही दिया जब उन्होंने बोला था की ये एक तरह का युद्ध है जिसके लिए हमें व्यापक स्तर पर प्रेपरेशन करनी होगी और इस युद्ध को जीतना होगा। मोदी की बात को क्यों सुना जायेगा, जहा पार्टी देश से बड़ी और निजी महत्व के लिए राजनीति हो रही हो वहां पर सही बात के लिए जगह न होना स्वाभाविक है
उधर लोग बजरंग दल को सिमी की तरह भी बता कर अपनी रोटिया सेंक रहे है। अपनी इटली वाली मैडम को खुश कराने के लिए हमारे राधोगढ़ के भुत पूर्व राजा दिग्गी राजा किसी से कम नही रहे, क्यों न हो , राज तो तभी करने मिलेगा। उन्होंने बोला की सिमी और बजरंग दल एक ही सिक्के के दो पहलू है । एस पर रोक लगा दो , इसको आतंकवादी संघठन घोषित कर दो। जब ख़ुद के घर में प्रोग्राम हो तब हिंदू धर्म ही याद आएगा और जब वोट बैंक की बात हो तो हिंदू धर्म की वकालत कराने वाले साम्प्रदायिक हो गए। में किसी धर्म या ग्रुप का पक्ष नही ले रहा बल्कि ये कहने कोशिश कर रहा हूँ की हम समस्या की जड़ को क्यों नही देखते। ये बात सही है की हिंदू लोग कुरीतियों के लिए जिम्मेदार है जिनकी वजह से अपने ही लोग इस महान धर्म और संस्कारों की परम्परा को छोड़कर कुछ लोगो के बहकावे में आ जाते है और जब कुछ लोग esi गलती का पश्चाताप कर कुछ सही कराने की कोशिश करते है तो हमारे राजनीतिक लोग कथित धर्म निरपेक्षता की आड़ में ग़लत बात को भी सही bataane पर utar आते है। कुछ हद तक इसाई मिशनरी भी जो उडीसा और कर्नाटका में हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार है। वो पश्चिम में जाकर अपने अधिकारों के लिए रोते hai, और bhool जाते है की wo bharat mein rah rahe hai, bujurgo ne kahaa hai ki apane ghar ki baat bahar naa ye to theek rahataa hai. पॉप को अपना मेसेज तब देना याद नही आता जब कश्मीर में निहत्थे लोग मारे जाते हैभारत सरकार को आर्थिक रूप से हो रहे धर्मांतरण पर रोक लगानी होगी और हिंदू धर्म को पिचारे लोगो को सम्मान देना होगा, और इन नेताओ को कुछ अपने अन्दर की आवाज भी सुननी होगी। मेरे को नही लगता की बजरंग दल के लोग आतंकवादी है। वो गुंडागर्दी करते है जिसके लिए sakht क़ानून होना चाहिए। पर अपने वोट बैंक के लिए गुंडागर्दी और आतंकवाद की परिभासा एक कर देना सही नही है। पाबन्दी लगा दो गुंडागर्दी और कानून तोड़ने के नाम पर , पर देश तोड़ने के नाम पर नही। क्या लालू के प्यारे शहाबुद्दीन और कोंग्रेस के प्यारे सिबू सोरेन गुंडे नही है ? ये तो सत्ता का सुख भोगे क्यूकी वो aapaki सरकार बचाते है और जो विपक्ष में है वो आतंकवादी हो गया। देश को आगे बढाना है तो राजनीती को वैचारिक और सैधांतिक रूप से मजबूत होना होगा।
जागो प्यारे मनमोहन और बचा लो इस देश को इससे पहले की हर गली में गुजरने से पहले लगे की कही कोई विस्फोट ना हो जाए/
आज इतना ही ....