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सोमवार, 5 मार्च 2012

भोपाल गैस त्रासदी का हिसाब अभी बकाया है

लन्दन ओलम्पिक के लिए हर जगह तैयारियाँ हो रही है, विश्व का हर देश और हर देश का प्रत्येक खिलाडी अपने हुनर दिखाने के लिए तत्पर हैं और जिस तरह से आज हम देशीय सीमाओं से आगे बढ़ चुके है हर देश के बड़े से बड़े उद्योग घराने भी इस महाखेल में अपने अपने हाथ आजमाने के लिए आतुर हैं, उन पर भूत सवार है कि कैसे विश्व के ७ बिलियन लोगों तक वो अपने ब्रांड का नाम पहुंचा सकें.

जैसे हर देश के खिलाडी को कुछ मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही इस महाखेल में खेलने कि इजाजत दी जाती है, वैसे ही क्या ओलम्पिक संघ को प्रायोजक चुनते समय कुछ मापदंडों अपनाने की सख्त जरूरत नहीं है ? यह सवाल मेरे मन में कई दिनों  से उठ रहा है, शायद हर भारतीय के मन में ये सवाल आ रहा है क्यूंकि Dow Chemical जैसी दागदार कंपनी को भी प्रायोजक बना लिया गया है, ये वही कंपनी है जिसने  भोपाल में नरसंहार की जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड को ख़रीदा था. कैसे कोई १९८४ के वो वीभत्स दिन भूल सकता है जब एक कंपनी के गैर जिम्मेदाराना  रवैये के चलते हजारों लोग मारे गए और कई अनगिनत जिंदगी भर के लिए अपंग हो गए.  कभी भी उस घटना की जिम्मेदारी यूनियन कार्बाइड  ने अपने सर पर नहीं ली और उसका कोई भी बड़ा अधिकारी सजा नहीं पा सका.  ये घटना अमेरिका के ९/११ और जापान के हिरोशिमा और नागासाकी से कम नहीं थी - पर फिर भी अपराधी खुले हाथ इज्जत के साथ घूम रहा है, क्या ये उचित समय नहीं जब हम लन्दन ओलम्पिक संघ से इसके विरोध की बात करें.

हमारी सरकार तो हमेशा से ही अपराधियों की शरणगाह रही है और इसका अपराधबोध हमारी सरकारों को पिछले ६० सालों में एक बार भी नहीं हुआ, तो क्या उम्मीद कि जा सकती है पर फिर भी जनता ने अपनी आवाज के बल पर कई लड़ाईयां जीतीं है और शायद social network के जरिये इस लड़ाई में भी जनता को आगे आकर अपना स्वर बुलंद करना होगा जिससे Dow Chemical  को भी भोपाल की घुटन का कुछ तो अहसास हो!

अगर आप भी मुझसे सहमत हैं और अपनी आवाज Dow Chemical   के विरोध में दर्ज करना चाहते हैं और लन्दन ओलम्पिक कमेटी तक अपने विरोध का स्वर पहुँचाना चाहते हैं तो आईये मेरे साथ इस लड़ाई में, मुझे और आपको संगठित होने की जरूरत है. इस कार्य हेतु मैंने एक ग्रुप (समूह) फेसबुक पर बनाया है -

https://www.facebook.com/groups/352198654803472/

आप सब इसको ज्वाइन करें और मुझे सलाह प्रदान करें कि कैसे ये लड़ाई और बेहतर तरीके से लड़ी जा सकती है !!

मेरे हिसाब से कुछ प्रयास जो इस दिशा में हम कर सकते हैं :

१. ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस अभियान में शामिल कर सकते हैं और जागरूकता अभियान चला सकते हैं

२. निम्नलिखित व्यक्तियों/समूहों को पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज कर सकते है

>. खेल मंत्री  - भारत सरकार एवं यु के

>  प्रधानमंत्री  - भारत एवं यु के

>  भारतीय ओलम्पिक संघ

> लन्दन ओलम्पिक कमेटी

> Dow Chemical  management

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भोपाल की पीड़ा छिपी है लंदन खेलों में..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

त्यागी जी, जब सत्ताधीशों ने ही निकलने का मौका दिया हो तो जनता क्या कर सकती है. भोली जनता का सतत दोहन.