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मंगलवार, 23 नवंबर 2010

अरुंधती रॉय पर बहस (जारी …)

 

पिछली बार की बहस क्या सिर्फ अरुंधती रॉय ही देशद्रोही हैं ?  से कुछ सवाल उठे थे जिनका जिक्र करना जरूरी था.

बाकी सब लोग तो एक सुर में बोल रहे थे पर हमारे एक मित्र है भवदीप सिंह,  वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सहारे अरुंधती राय के सारे गुनाहों पर ऐसे ही पर्दा डाल रहे थे जैसे भ्रष्ट (जनसेवक नेता) लोग कोई न कोई बहाना बनाकर अपने आप को हर बार बचा ले जाते हैं !

पिछले लेख में जो प्रतिक्रियायें आयीं उनमें से कुछ यहाँ देखते हैं -

भवदीप सिंह ने कहा…

आप इसलिए उनको देशद्रोही बोल रहे हैं क्योंकि उन्होंने देश के खिलाफ ब्यान दिए हैं? ये तो भाई गलत बात है.
उन्होंने अपनी वाक्-स्वतंत्रता (Freedom of Speech) का उपयोग किया है. बुरा न मानिए पर मुझे इसमें कुछ गलत नहीं दिखा.
उन्होंने जो बोला. वो आप या मैं (या फिर हमारे देश की अधिकतर जनता) नहीं सुनना पसंद करेंगे. उन्होंने हमारे विचारो से हट कर बोला है. ये बात में मानूंगा. लेकिन, मुझे कोई क़ानून भंग होता नहीं दिखा.
Freedom of Speech तो है न हमारे देश में.. या फिर वो "खट्टा मीठा" के गाने वाली बात हो गए.. "यहाँ पर बोलने की आजादी तो है. पर बोलने के बाद आजादी नहीं है" ?
में उनके विचारो से सहमत होयुं या न होयुं. पर में इस बात से सहमत जरूर हूँ के उन्होंने क़ानून में रहा कर बोला है जो बोला है. अगर हमें उनकी बात पसंद नहीं आती तो क़ानून हमें पूरी आजादी देता है के हम उसके खिलाफ बोले. जैसा की इधर बोल रहे हैं.

राम त्यागी ने कहा…

पहले तो सभी का बहुत बहुत धन्यवाद इस ज्वलंत मुद्दे पर बहस के लिए !
जहाँ एक और भवदीप ने स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के सहारे रॉय मैडम को सही ठहराने की कोशिश की है वही अन्य सभी लोगों ने एक मत से अरुंधती के गैर जिम्मेदाराना रवैये के साथ साथ नेताओं, मीडिया और अन्य खुले आम घूम रहे लोगों पर भी अंकुश लगाने पर भी जोर दिया !

भवदीप सिंह ने कहा…

पहली बात.. मैंने रॉय मैडम को सही नहीं बोला. मैंने बोला के तुम और हम उनके विचारो से सहमत नहीं हैं. पर उनको अपने विचार रखने की पूरी स्वंत्रता है.
दूसरी बात. अगर उनको बोलने का मकसद हिंसा भड़काना होता तो Sedition के अंतर्गत उनको गिरफ्तार करना बनता था. उन्होंने जो बोला उस से न तो हिंसा भड़की न ही ऐसा कुछ करना उनका मकसद था.
तो संछेप में फिर से बोलूँगा के. मैडम ने जो बोला उस से हम सहमत हो या न हों... पर उन्होंने क़ानून में रहा कर बोला .तुमको और हमको उनकी बात जमी नहीं तो हमें भी पूरा हक है उनके विपरीत बोलना का.

 

अब भवदीप और आप सब से मैं पूछना चाहूँगा कि क्या हम दंगे होने तक इन्तजार करेंगे और देश की अखंडता पर कश्मीर को अलग करने वाले तथाकथित बुद्धिजीवियों को उसी तरह गुनाह करने देंगे जैसे हम अपने कुछ भ्रष्ट नेताओं को उनके बुरे कामों का इनाम उनको वोट देकर करते हैं ?

मंसूर अली हाशमी जी ने बहुत ही सही बात कही थी  -
उसका 'गीला', 'नी' लगे, 'गंदा' उन्हें !
'अंधी' 'रुत' है, दोस्तों अब क्या करे?
कैसी आज़ादी उन्हें दरकार है,
अपने ही जो देश को रुसवा करे !!

अनुराग जी की बात सही है कि कब तक सहेंगे -  

जिस हमाम में सब नंगे हों वहां हर नंगा दूसरे का ही उदाहरण सामने रखेगा| लेकिन इस देश पर हक सिर्फ इन नंगों का नहीं है| देश के सीधे सच्चे नागरिक कल चुप थे, आज चुप हैं इसका मतलब यह नहीं है की वे हमेशा चुप रहेंगे| कहीं न कहीं से तो आरम्भ करना ही पडेगा.

अभिव्यक्ति की स्वच्छन्दता और अखंड भारत में से आपको क्या चुनना है ?

7 टिप्‍पणियां:

abhi ने कहा…

ये कोई पूछने की बात ही नहीं...अखंड भारत हमें चाहिए..
Freedom of Speech का मतलब क्या ये है की जो मन करे जिसका वो बोले...
किसी भी चीज़ से हमेशा ऊपर राष्ट्र होता है..

मैं कोई तर्क नहीं देना चाहता बस ये कहूँगा की अरुंधती गलत है और लोग उनके बचाव में सफाई क्यों दे रहे हैं ये मैं समझ नहीं पा रहा..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अरुन्धती रॉय को यह ज्ञात हो कि उनके बकवास का मूल्य क्या है। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता स्वीकार है पर साथ ही साथ औरों को भड़काना अपराध भी।

कडुवासच ने कहा…

... meraa maananaa hai ki arundhatirai ke kathan par charchaa-paricharchaa honee chaahiye ... uske baad tay ho jaayegaa kyaa sahee-kyaa galat hai !!!

anoop joshi ने कहा…

sir in baaton se bhi gandi baatein or adhik sapsth tor par desvirodhi chije kashmir me ki or boli jaati hai. tab koi nahi kahta, ye sirf isliye mudda bana kyonki in sab ne delhi me aakar bola.ab delhi me aakar bolna desvirodhi ho gaya or kashmir or nakshal ilake me bolna kuch nahi hai.
ye kainse akhand bharat ki baat ki jaa rahi hai. kashmir me hazaro log pakistaan ka jhanda lekar aazadi aazadi kahte hai. usko kab uthaya jayega........

Unknown ने कहा…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो है इस देश मे लेकिन,वैचारिक भिन्नता तो रहेगी ही इसमे हमें एक निरपेक्ष भाव से टिप्पणी देना उचित लगता है.

Unknown ने कहा…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो है इस देश मे लेकिन,वैचारिक भिन्नता तो रहेगी ही इसमे हमें एक निरपेक्ष भाव से टिप्पणी देना उचित लगता है.

Unknown ने कहा…

She is right in talking about freedom of speech but what I think is anti-nationalist feeling, must be stopped after a limit, because it harms national integrity
Kashmir is avery sensitive issue for India, Pakistan and the world.so before giving comment like this she should think once