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रविवार, 13 जून 2010

ज्वलंत मुद्दा : प्रकृति से खिलवाड़


२०१० अमेरिका में याद रहेगा गल्फ ऑफ़ मेक्सिको में हो रहे तेल रिसाव के लिए !  भारत में भोपाल के गैस रिसाव काण्ड के अन्याय की चिंगारी पीडितो में तो पहले से ही सुलग रही थी, अब वो राजनीतिक और बौद्धिक बहस के गलियारों में भी रोशन हो रही है. 

बी पी कम्पनी हर कोशिस के बाबजूद तेल रिसाव रोकने में सफल नहीं हो पा रही है पर सुकून की बात है की ओबामा खुद कमांड हाथ में लेकर बी पी के पीछे पड़े हैं.  जबकि हमारे यहाँ की कोंग्रेस सरकार तब और अब मामले पर पानी फेरने के सिवा कुछ और नहीं कर पायी थी.   बी.पी. के शेयर अमेरिकेन मार्केट में लगभग ३० प्रतिशत नीचे आ चुके है,  (बेचारे) टोनी हैवर्ड , BP के सीईओ (फोटो में ) की हालत पतली हो रही है, होनी भी चाहिए!! 

बहुत पहले ऐसा ही हादसा अरब जगत में तब हुआ था जब इराक कुवैत से बाहर जाते जाते काफी सारे तेल के कुँओं में आग लगा गया था. तब इसी तरह समुन्दर में आयल का हजारों बैरल रिसाव हुआ था,  समुन्दर किनारे तेल की मोटी परत जम गयी थी और समुंदरी जीव जन्तुओं पर इसका बहुत बुरा असर हुआ था.

जहाँ तक मेरा ज्ञान है तेल भारी होने की वजह से समुन्द्र की लहरों को आने जाने से रोक या दबा  देता है और समुंदरी पक्षी तेल की इस भरी परत की वजह से सांस लेने और तैरने में परेशानी अनुभव करते हैं. लग रहा है ये तेल कम्पनियां जो हर साल बिलियन डॉलर फायदे के बक्से में डालती है, पुरानी घटनाओं और प्रकृति के संरक्षण के प्रति जान बूझकर अनजान रहती हैं, और हर जगह राजनीतिक लोग इनसे चंदे या टेबल के नीचे पैसा लेकर इनको ऐसा करने देते है. पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कब तक इन कंपनियों को फायदा करता रहेगा ?  BP का ये केस इस दिशा में एक अंगड़ाई भर है...आगे पता नहीं क्या होगा !

मेरी ये कविता मेरे भाव शायद बयाँ कर सके ...

BP के बिलियन हुए खाली
पर समुन्दर में तेल अभी भी रिसना है जारी
प्रकृति से छेड़खानी इसको पड़ी भारी
इधर उधर मुंह अब ये ताके अनाड़ी
नए तरीके उर्जा के अपना लो मेरे भाई
नहीं तो ये प्रलय की हुंकार होगी कसाई
 
प्रकृति से खिलवाड़ हो और मानव प्रयास कुछ असर करें,  आशा गौण ही लगती है, इसलिए ईश्वर से प्रार्थना है की भोपाल के पीड़ितों को जल्दी ही न्याय मिले और BP की ये आग भी जल्दी बुझे !!

6 टिप्‍पणियां:

कडुवासच ने कहा…

...सार्थक अभिव्यक्ति !!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर लेख व कविता । डण्डा लेकर पीछे पड़ना पड़ेगा, अपने देश में भी ।

संपादक ने कहा…

wah tyagi ji aapki chinta vazib...kavita bhi achhi hai..

anoop joshi ने कहा…

सर पहली बार आपकी पोस्ट में कमेन्ट करने को सब्द नहीं है मेरे पास. बहुत खूब सर.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

विचारणीय पोस्ट!

छत्तीसगढ़ पोस्ट ने कहा…

बड़ा गज़ब का पोस्ट है, मज़ा आ गया .....शुभकामनाएं..