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शुक्रवार, 4 जून 2010

कुछ बातें मोंट्रियल की ....

ऐसा लग रहा है जैसे मेरा इस ब्लॉग का नाम 'मेरी यात्रा' हो जाना चाहिए,  आजकल इस टोपिक से हटकर कुछ और लिख ही नहीं पा रहा हूँ.

परसों टोरोंटो में बहुत बारिस हो रही थी,  वैसे ऑफिस की चहारदीवारी में तो कुछ पता ही नहीं चल रहा था, पर जैसे ही में शाम के ६.१५ बजे बाहर निकला तब पता चला.  मुझे मोंट्रियल जाना था और मेरा हवाईजहाज ८ बजे उड़ान भरने वाला था,  ऑफिस से बाहर निकलते ही एक टैक्सी वाले भाईसाहब ने बुला लिया, बैग सर पर रखकर जल्दी से अपने आप को टैक्सी के पिछले हिस्से में धडाम से सारे सामान के साथ पटका.  टैक्सी वाले भाईसाहब बांग्लादेश के एक हिन्दू भाई थे.  बारिश की वजह से ट्रैफिक धीमे चल रहा था.  इसलिए १० मिनट का एअरपोर्ट का रास्ता लगभग दुगुने समय में तय हो पाया. ये एअरपोर्ट भी अपने आप में अद्वितीय है,  टोरोंटो शहर से लगे छोटे से द्वीप पर स्थित ये एअरपोर्ट ऐसा लगता है की किसी छोटे से शहर का छोटा सा एअरपोर्ट हो.  वैसे भी इस एअरपोर्ट से केवल एक ही एयर लाइन के हवाई जहाज उड़ान भरते है, पोर्टर एयर लाइन मुझे तो बढ़िया लगी.  पहले एक फेरी आपको एअरपोर्ट तक ले जायेगी, इस फेर्री में ऊपर लोग बैठ जाते है और नीचे कार , कार्गो जैसे वाहन इत्यादि.   पोर्टल वालों ने बोला की आप ७:२० pm का हवाई जहाज पकड़ लो,  ये तो बढ़िया रहा क्यूंकि थोडा और जल्दी पहुँचना हो जाएगा. एअरपोर्ट पर काफी कुछ फ्री में रिफ्रेशमेंट के लिए रखा गया है, शायद ही कोई एयर लाइन इतना अपने ग्राहकों का दयां रखती है.

कुछ देर में जहाज में सवार हुए, पानी की बूंदे अभी भी टिप टिप हो रहीं थी और बादल खूब सारी मीटिंग कर रहे थे इकठ्ठा हो होकर आसमान में.  तय समय से कुछ ५-१० मिनट के बाद ठीक ठाक उड़ान भरते हुए जहाज हवा में उड़ने लगा और चालक महोदय इसको उंचाई में उठाने लगे...जैसे ही बादलो की मीटिंग भंग करने की कोसिस की, जहाज कुछ डगमगाने लगा.  पहले जो बादल रुई का सपने नुमा पहाड़ लग रहे थे , वही अब यमराज लगने लगे.  १५-२० मिनट तक या और भी ज्यादा हमारा जहाज हिचकोले खाता रहा, ऐसा लग रहा था की एक दम से नीचे जा रहा है, पेट में भी अजीब तरह की क्रियाएं हो रही थी.  इतना कम्पन मैने अपनी पिछली की गयी सैकड़ों हवाई यात्राओं में नहीं देखा.  कुछ देर बाद सब कुछ ठीक हुआ और सबकी जान में जान आई.  कुछ ही पल में खुशियाँ डर में बदल गयी और कुछ देर बाद फिर से सबके चहरे पर मुस्कान.
तभी कुछ  भाव निकले -

मेरा उड़न खटोला जब बादलों से निकला
सुर्ख सपनों में मैं खुद को ढूँढने निकला

अचानक से खटोले ने खाए हिचकोले
हिला डुला कर सबके जैसे प्राण निकाले
अगले ही पल क्या क्या कर दे
तेरी लीला ईश्वर तू ही बता दे

१ घंटे की हवाई यात्रा के बाद जब टैक्सी फिर से पकड़ी तो चालक महोदय बोलते है की २५ से ४५ मिनट होटल पहुँचाने में लगेंगे.  ये महाशय इरान के थे और धीरे धीरे इन्होने मोंट्रियल का पूरा इतिहास और वर्तमान मेरे सामने रख दिया.  बता रहे थे की बहुत इंडियन है इधर, कुछ के पास तो बहुत पैसा है. फिर शुरू हुए तो अपना देश इरान  छोड़ने और इरान को कनाडा से बेहतर बताने के कई संस्मरण और शगूफे छोड़ते रहे.  मोंट्रियल आओ तो कभी भी रोड पर मत उतरो, बहुत ट्राफिक रहता है. होटल पहुंचते पहुंचते लगभग रात के ९:३० या १० बजे होंगे.  थोड़ी देर बाहर निकला तो सामने ही एक सुन्दर सा आइसक्रीम पार्लर था,  सुन्दर सी, प्यारी सी वृद्ध महिला ने पूरे  प्यार के साथ  बढ़िया सा स्वादिष्ट सैंडविच बनकर दिया. कैश ही लेती थी तो हमने US डोल्लर पकड़ा दिया, कुछ नहीं बोली.  मैंने कहा की जब तक यहाँ हूँ, आपके पार्लर पर आता रहूँगा.   अभी अमेरिका और कनाडा के डोल्लर में कोई फर्क नहीं रह गया है, तो एक सुविधा है की लोग US का डोल्लर भी ले लेते है और अपने को एक्सचेंज का लफड़े में नहीं पड़ना पड़ता.  

जैसे भारत को विविधताओं का देश कहते है, कनाडा आकर भी यही लगा. टोरोंटो में आप न्यू योर्क जैसा अनुभव करते है और  मोंट्रियल आकर सब कुछ बदल जाता है,  हर कोई फ्रेंच बोल रहा है,  मेट्रो या फिर टैक्सी हर जगह फ्रेंच का बोलबाला. ऐसा लग रहा था की में जैसे फ्रांस में हूँ. पिछले साल की पैरिस यात्रा  के  दिनों की याद ताजा हो गयी.  टोरंटो और मोंट्रियल की संस्कृति एक दूसरे से पूरी तरह भिन्न हैं.  मेट्रो ट्रेन के पहिये यहाँ पहली बार रबर के जैसे दिखे.  ट्रेन के पहिये अब तक तो लोहे के ही देखे हैं.

शुरुआत में भाषा और जगह के नए होने की वजह से बोरियत फील हो रही  थी, पर धीरे धीरे बहुत से लोग अपने हो गए है कुछ घंटो में ही.  दूसरे दिन खाना खाने निकला तो एक शॉप में गया,  रेस्तौरांत चलने वाले महाशय पकिस्तान से थे और उसका एक और साथी बंगलादेश से, दोनों ने मिलकर बढ़िया सैंडविच मिर्ची वाली बनायीं, खाकर आनंद आ गया.

मोंट्रियल में आओ तो Saint Catherine Street जाना ही पड़ता है,  बढ़िया शहरी जीवन देखने को मिलता है,  रात्रि में आसपास की गलियां जागती रहती हैं.  हमने भी थोडा सा आनंद लिया.  कभी कभी बेकार अंग्रेजी के परिणाम बहुत भयानक हो सकते है,  कल बीबी बहुत बार होटल में फ़ोन कर रही होगी तो होटल वाला फ्रेंच बंदा उसको बोलता है की "they may be sleeping ".  फिर क्या था ...."he " का 'they " मेरी क्या हालत कराएगा ...पता नहीं :-) 

7 टिप्‍पणियां:

भवदीप सिंह ने कहा…

चलो फिर मजे करो नया देश, नया शहर.

पर बड़े दुःख के साथ बोलना पड़ रहा है के विदेश जा कर तुम अपने गाव का पतंगबाजी मेला miss करोगे.

हर साल की तरह, इस साल भी इस इतवार को naperville में पतंगबाजी हो रही है.

सप्ताहंत में हमारे लिए अच्छी सी विदेशी घडी और धुप का चश्मा जरुर ले लेना.

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

अच्छी समीक्षा की है आपने...
सही कहा कि टोरोंटो और मोंट्रियल कि संस्कृति में फर्क है....फ्रेंच का बोल-बाला है मोंट्रियल में...और शाम खूबसूरत है...समय मिले तो क्यूबेक सिटी घूम लीजियेगा ...अच्छा लगेगा आपको...
और अगर मौका मिला तो ओट्टावा भी देख लीजियेगा....आखिर कनाडा कि राजधानी है...
और जितनी जल्दी हो सके 'he ' और 'they ' का फर्क समझा दीजिये...वर्ना मुसीबत का क्या है चौखट पर ही खड़ी रहती है...
हाँ नहीं तो...!!

Udan Tashtari ने कहा…

सेंट कैथरीन क्या गये कि ही से दे हो गये...हा हा!!


अब पहुँचों शिकागो, तब सही प्रसाद मिलेगा. :)

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अब मोंट्रियल पहुँच गए हो तो क्यूबेक भी होके आना । बहुत अच्छा लगेगा । वहां तो पूरी तरह फ्रेंच बोली जाती है । और हाँ , वहां बंगलादेशियों के रेस्तरां बहुत हैं रोटी खाने के लिए ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हम तो बैठकर ही आपकी यात्रा का आनन्द ले रहे हैं ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

इस संस्मरण से हम भी मांट्रियलमय हो गये!

Smart Indian ने कहा…

प्रवीण पाण्डेय की तरह हम भी घर बैठे ही आपकी यात्रा का आनन्द ले रहे हैं।