हिंदी - हमारी मातृ-भाषा, हमारी पहचान

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अपना योगदान दें ! ये हमारे अस्तित्व की प्रतीक और हमारी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है !

मंगलवार, 4 मई 2010

डेस्क और वीक एंड

और डेस्क आ गयी ...पिछले सप्ताह एक पोस्ट में मैंने डेस्क की तलाश और ऑफर की महानता के बारे में लिखा था .
http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/2010/04/blog-post_25.html

ये रही डेस्क -  जैसी दिख रही है उस रूप में लाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. खुद ही सारा कुछ जोड़ना पड़ा.  चलो
आखिर में प्रोडक्ट तैयार है.

सप्ताहांत में पतंग उड़ाने का मजा भी लिया और फिर बसंत की ऋतू है तो कुछ पेड़ पौधे भी बेक यार्ड में लगाए. 
टमाटर, मिर्ची और कुकुम्बर के पौधे लगाए और कुछ फूलो के .  आःह चिकागो में गर्मी देखने को ही कहाँ मिलाती है ...इसलिए जितनी है उसमें सब कुछ करने  का मन करता है. अमेय तो बाहर से अन्दर आने का नाम ही नहीं लेता.

अरे इस बार तो यहाँ के प्रसिद्ध बालाजी मंदिर भी गए और वहां के बहुत ही स्वादिष्ट दोसे का आनंद भी लिया.  डोसा, इडली और वडा और उसके साथ साम्भर, चटनी - बहुत स्वादिष्ट था सब कुछ.  

न्यूज़ में देखा कि न्यू योर्क में एक बोम्ब विस्फोट कि कोसिस की गयी ...दुनिया का कोई कोना सुरक्षित नहीं लगता आजकल.  और कस्साब का केस भी पूरा हुआ...वैसे अफजल गुरु को तो अब तक फांसी नहीं दी गयी ...क्या उम्मीद करें ?  वैसे पता नहीं सरकार ने कसाब के अलावा उसके आकाओं को पकड़ा है या नहीं ...उम्मीद करते हैं कि पुलिस को चुस्त दुरस्त करने और खुपिया तंत्र को दुरस्त करने पर भी ध्यान दिया जाएगा.  कसाब को सजा तो मात्र एक भावनात्मक अंत होगा ...बहुत कुछ करना होगा जिससे कि व्वाकई में आगे से आतंकवादी कुछ कर ना पायें.  हमारे देश में भीडभाड और गरीबी के कारण आतंकवाद के संघठन को काबू और नेस्तनाबूद करने के लिए एक इमानदार प्रयास कि जरूरत है.  सरकार के साथ साथ समाज के लोगो को भी जागरूक और सक्रिय होकर मिलकर काम करना  होगा.



हिंदी ब्लोग्गेर्स का ग्रुप बढ़ता जा रहा है, हिंदी में बहुत से लिखने वाले लोग आ रहे है, ये देखकर अच्छा लगता है. लोग बिहार से , राजस्थान से , मद्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से, झारखण्ड और उड़ीसा से, उत्तरप्रदेश और उत्तरांचल से, हिमाचल और दिल्ली से, पंजाब और हरियाणा से, कर्णाटक से, आंध्र और केरल से, वेस्ट बंगाल से - हर जगह से ..हिंदुस्तान के कोने कोने से लिख रहे है, इन सबके ब्लॉग पड़कर में अपने आप को देश में ही पाता हूँ. चिट्ठाजगत , ताऊ जी, समीर जी, द्विवेदी जी, ब्लोग्वानी और बहुत सारे अनगिनत चिट्टाकार हिंदी की बहुत सेवा कर रहे है और हम सभी को एक मंच देने का सतत प्रयास और उत्साहवर्धन कर रहे है. सभी के लिए धन्यवाद !  

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

डेस्क तो सही फिट कर लिए भाई..बधाई. इतनी मेहनत के बाद डोसे की तो बनती है.

आजकल हम भी गर्मी की गार्डनिंग का मजा ले रहे हैं. सेब और चेरी में फूल आ गये हैं. टमाटर, मिर्ची और लौकी बो दी गई है. :)

एन्जॉय करिये गर्मियाँ जितने दिन भी मिल जाये.

आपका भी आभार.

बेनामी ने कहा…

नयी मेज की बधाइयाँ.

तुम्हारे बगीचे की सब्जियां खाने जरुर आएंगे.

जहाँ तक कसब की बात है. सजा जरुर होनी चाहिये. कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए पर फांसी देना गलत है. जान लेना और देना उस ऊपर वाले का काम है. चाहे इंसान गलत हो या सही, उसकी जान लेने का हक सिर्फ ऊपर वाले को है.

-- भवदीप सिंह

राम त्यागी ने कहा…

आज आ जाओ तुम बस :) अभी नन्हे पौधों को आशीर्वाद देने !
कसाब को मौत की सजा मिल गयी आज ...भगवान् के हाथो ही मौत और जीवन लिखा है पर भगवान् तो अद्रश्य है इसलिए किसी न किसी को द्योतक बना कर श्रष्टि के काम कराता रहता है और इसलिए भगवान् ने कसाब के लिए मौत देने को जज तहिलयानी को चुना .