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बुधवार, 9 जुलाई 2008

बढ़िया तो है सब

तपती हुई गर्मी में
झोला लेकर निकले
सायकिल में मारे पैडल जोर से
चिट्ठी घर घर देता डाकिया
सुई लगाता घर घर बीमार सा डाकधर
सरपंच अपनी अथाई पर बैठा मरोड़े मूछ
पर कोई नेता नही इनको रहा पूछ
पटवारी ने खाट के ऊपर बनाया अपना ऑफिस
मास्टर साहब ने टुइशन के बहाने घर को ही बनाया स्कूल
इंजिनियर ने दे दिया सारा काम ठेकेदार को
जनता की लगा दी बाट खा गए सारे पैसे को
रोड को कर दिया सकरा
तभी तो अब इनके घर में कटेगा बकरा
थानेदार साहब से परेशान है सुनार
रिश्वत लेते है ये बेसुमार

- Ram

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bhut khub.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.