हिंदी - हमारी मातृ-भाषा, हमारी पहचान

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अपना योगदान दें ! ये हमारे अस्तित्व की प्रतीक और हमारी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है !

शनिवार, 5 जुलाई 2008

बंद को बंद करो ....

गरीब लोग परेशान है, यात्री लोग असुविधा का सामना कर रहे है, ये कैसा बंद है , विद्यालय में हमें सिखाया जाता है की आपका हथियार कलम है न की हिंसा, ऐसा ही कुछ गांधीजी जैसे महान लोगो ने कहा है , पर हमारे राजनैतिक लोग जो अपने आप को आम आदमी का प्रतिनिधि बताते है वो क्यों आम जनता को इस तरह की मुसीबतों में डालते है ? क्या ये अपना विरोध किसी और तरीके से नही दिखा सकते ?

गरीब और मध्यम वर्ग राजनीति के स्वार्थी तत्वों के चक्रव्यूह में ऐसा फस गया है की देश में रोज कही न कही वो पिस रहा है। क्या बड़ी पार्टियाँ अपने कार्यकर्ताओ से नही बोल सकती की आप किसी की दूकान जबरदस्ती बंद नही कराओगे बस अपने विचार लोगो को पहुँचाओ और देखो कितने लोग हमारे साथ है ? ऐसे कई सवाल मन में हर वक्त आते रहते है, और जबाब है जाओ और कुछ करो ऐसा जिससे कुछ सुधर आ जाये, ब्लॉग पर भी लिखो पर कुछ करो भी। मन तो करता है की आज ही सब कुछ छोड़कर अपने लोगो के सुधार में लगा जाये। अंतर्द्वंद सा चलता रहता है , अच्छा है ये चलता रहे और आशा करता हूँ की ये वैचारिक संघर्ष एक दिन मुझे अपने लोगो के बीच ले जाये। में आडवानी जी से जिनकी में और मेरे जैसे बहुत युवा बुत इज्जत करते है, की वो बीजेपी को सैधांतिक रूप से मजबूत बनायेगे और बंद को वैचारिक लडाई से लडेंगे न की लाठी के जोर से। बीजेपी को जनता की आम मुसीबतों को आगे लाना चाहिए, गरीब जनता छोटे से छोटे काम के लिए रिश्वत देने के लिए मजबूर है, सदके गद्दों से भरी पड़ी है, क्यों नही आप जनता की परेशानी को आगे लाते हो ?
बंद को बंद करना ही पड़ेगा, ये आम जनता के हित की बात है, क्या कर्ज से दबा हुआ किसान बंद कर सकता है ? नही....वह तो सूखे खेतो में अपने पसीने को और बाहाता है जिससे कुछ पैदा हो सके, वो बस के सीसे नही तोड़ता बल्कि प्रयास करता है की मेरी फसल कैसे भी करके मेरे लिए खुशिया लाये। आम आदमी बंद नही, बल्कि प्रयास चाहता है, आम आदमी शान्ति और खुसी चाहता है, कितने दर्द की बात है की एक व्यापारी बंद के विरोध में आत्मदाह कर लेता है।

- राम

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bhai aam aadmi hai kaun? jisko pareshani hoti hai. kya jo log band karate hai wo aam aadmi nahi hote. wo sirf band k din hi khas ho jate hai. bina road jam kiye aur band kiye sarkar kisi ki bat sunti hai kya?