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गुरुवार, 3 जुलाई 2008

मैं वापस आ गया हूँ -

मैंने सोचा है की अब में प्रतिदिन एक घंटे का समय अपने ब्लॉग को दूँगा। ये जरूरी है अपने हाथ में लिए काम को एक अंजाम तक पहुंचाने के लिए. हम लोग नए नये ख्वाब देखते है और फिर कुछ दिन के प्रयास के बाद उस दिशा में काम करना बंद कर देते है और इसीलिए कभी भी हर देखे गए ख्वाब को पूरा नही कर पाते और वही से फिर शुरू होता है की सपने कभी पूरे नही होते, सपने जरूर पूरे होते है अगर उस दिशा में आप कार्य करें. मन में अगर सोचा है कि अगर किसी के घर जाना है तो रास्ता तो तय करना पड़ेगा घर तक पहुचने के लिए.
शिकागो मैं इस समय गर्मी का मौसम है, 4th जुलाई आने वाला है जो कि इनका स्वतंत्रता दिवस होता है, बस लोग लंबे सप्ताहांत की तैयारी मैं जुटे हुए है। कोई कही लम्बी ड्राइव पर जाने वाला है तो कोई अपने परिवार के साथ कुछ पल एकसाथ बिताने का सोच कर बैठा है तो कोई कही दूर समुद्र किनारे की सैर का मन बना कर बैठा है, हर कोई कुछ न कुछ सोच कर बैठा है जिससे कि गर्मियों को पूरा लुत्फ उठाया जा सके, वैसे भी इस क्षेत्र मैं गर्मी का मौसम कुछ महीनो कि बात होती है और पता नही कब फिर ठंडी हवा बहने लगे, इसलिए हर कोई मौसम की खुशमिजाजी का भरपूर फायदा लेने के लिए उत्सुक नजर आता है, मेने यहाँ देखा है कि हर मौसम का लोग खूब दिल से मजा लेते है, यही शायद व्यस्त और अकेली जिंदगी मैं कुछ खुशियों और अपनेपन के पल दे जाए. जीवन के हर पल और हर अवस्था का जिस तरह महत्त्व होता है उसी तरह प्रकृति के हर मौसम का अपना अंदाज है. कुछ दिन पहले हम भी अपने कुछ दोस्तों के साथ एक जगह घूमने गए थे. इस साल हम लोग अनु (मेरी पत्नी) के स्वास्थ्य कि वजह से कुछ कम बाहर निकल रहे है, हम लोगों के यहाँ सितंबर मैं एक और छोटा सा मेहमान आने वाला है और इसलिए हमने अपने parents को यहाँ बुलाया है, वो लोग कुछ दिनों मैं ही आने वाले है तो बहुत कुछ तैयार करना है, इस वजह से हम लोग इस 4th जुलाई वाले छुट्टी मैं कही नही जा रहे हैं. बस अब तो उन लोगो के आने का ही इंतजार है कि कब आए और कुछ समय उन लोगो को दे जिनको हमारे समय की सबसे ज्यादा जरूरत है. लेकिन जब आ भी रहे है तो हमारी सेवा करने आ रहे है. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है और मेरे को लगता है कि आपने पाने से ज्यादा खो दिया अगर आप अपने वतन से दूर आ गए हो. बिना समाज के मानवता को जीना कैसे सीखोगे और वही समाज आपके पास नही है. कितना भी परिवर्तन आप अपने आप मैं कर लीजिये, पर आप अपने मूल रूप से कभी मुंह नही मोड़ सकते और इसलिए आप हर वक्त मन के कोने मैं यहाँ सोचते रहते हो कि कुछ खो सा गया है. कुछ नही बहुत कुछ खो सा गया है.
अभी शिकागो मैं गर्मी शुरू हुई है और कुछ दिन पहले ही यहाँ के चुनाव मैं हिलेरी और ओबामा के बीच जो राजनीतिक गर्मी थी वो अन्तत: अपने निष्कर्ष पर पहुँची। जैसे हवा के साथ रेत और मिटटी उड़ती है उसी तरह ओबामा के ओजस्वी speaches और young लुक ने बहुत लोगो को आकर्षित किया. ऐसा नही कि हिलेरी हार गई हो, उसने सारी बड़े राज्यों मैं जीत हासिल कि, ओरतो के लिए एक प्रेरणा का श्रोत बनाकर वह उभरी, बहस मैं अपने आप को हिलेरी ने सर्वोच्च साबित किया, उनके पक्ष से कुछ tactics मैं गलतिया हुई और ओबामा के हूनर को नजरअंदाज किया गया इसलिए वह डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार नही बन पायी पर भीर भी एक वैचारिक छाप हम जासे हजारो लोगो के दिल मैं छोड़ गई. यही आश रखनी चाहिए कि आने वाले चुनाव मैं ओबामा विजय हासिल कर लोगो की मुसीबत दूर करे. पूरे दुनिया मैं इस वक्त तेल की कीमतों की वजह से बुरी हालत है, खाने की कीमतें बढ़ रही है, महंगाई आसमान छू रही है और लोग बेरोजगार हो रहे है. कही न कही वर्तमान मैं यहाँ के रास्त्रपति Mr बुश को इसमें योगदान जरूर है , इराक युद्ध से लेकर इरान विवाद तक हर समय ग़लत निर्णय लिए गए इसलिए मैं नये US President से कुछ उम्मीद लेकर बैठा हूँ.
हमारे देश मैं तो बंद बंद ही नही हो रहे है, पहले गुर्जर भाई थे जिम्मेदार , फिर गोरखालैंड और अब अमरनाथ जमीन। कुछ भी हो देश की सम्पति को उग्र भीड़ द्बारा नुकसान पहुंचाना आम बात है। पता नही ऐसा कब तक चलेगा और कब तक हमारे राजनीतिक दल गरीबो को और गरीब बनाते रहेंगे और टैक्स देने वालो का पैसा पानी मैं बहाते रहेंगे. कभी न कभी तो राजनीति को सभ्य होना ही पड़ेगा. आशा करते हैं कि हम जैसा सोचने वाले लोग कभी कुछ करके भी दिखायेंगे और उस दिन जरूर हम लोग राजनीती कि निंदा करना बंद कर देंगे.
आज इतना ही पर अब मैं लिखता रहूँगा. हां मैं http://www.google.com/transliterate/indic को जरूर धन्यवाद देना चाहूँगा जिससे मैं अपनी मात्रभासा इतनी आसानी से लिख सका.

2 टिप्‍पणियां:

सतीश पंचम ने कहा…

स्वागत है।

Pragya ने कहा…

bas ab achha laga tujhe wapas dekh kar...
tujhse baut logom ko inspiration milta hai...
keep it up